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शहर के राकेश ने अपनत्व से ढहा दी संकोच की दीवार, मिटाया भेदभाव Aligarh news

समता के पुजारी रामकिशन राकेश रस्सीवाले ने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया है। शहर की मलिन बस्तियों में सहभोज कन्या पूजन जैसे कार्यक्रम करते हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 02:00 PM (IST)
शहर के राकेश ने अपनत्व से ढहा दी संकोच की दीवार, मिटाया भेदभाव Aligarh news

अलीगढ़ [राज नारायण सिंह]  समता के पुजारी रामकिशन 'राकेश रस्सीवालेÓ ने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया है। शहर की मलिन बस्तियों में सहभोज, कन्या पूजन जैसे कार्यक्रम करते हैं। लोगों के बीच बैठकर चाय-पानी व भोजन करते हैं, जिससे बुराइयां दूर की जा सकें। राकेश कई ऐसे परिवारों में पहुंचे हैैं, जहां लोगों ने उन्हें भगवान समझ लिया। बोले, मेरे घर तो आज तक कोई पानी पीने नहीं आया, आप भोजन की बात कर रहे हैं। राकेश ऐसे लोगों को गले लगा लेते हैं। कहते हैैं, मनुष्य से मनुष्य भेदभाव करे तो इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता। समता के पुजारी की ममता लुटाने की कहानी आप भी सुनिए...

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सराय हकीम निवासी रामकिशन (62) की बारहद्वारी चौराहे पर रस्सी की दुकान है। वे शुरुआत से ही सेवाभाव में लगे रहते थे। समाज के उन तबकों से संपर्क बनाते थे, जिनसे लोग दूरी बनाते। वे सोचते थे कि दूरी बनाने से समाज बिखर जाएगा। 

छह साल पहले बढ़ाया कदम 

राकेश शुरू से ही सेवाभाव में लगे रहे थे, मगर परिवार की जिम्मेदारियां कुछ हलकी हुईं तो समाज में समता के लिए पूरा समय समर्पित कर दिया। छह साल पहले राकेश सेवा भारती के माध्यम से बस्तियों में जाने लगे। वहां दीनता तो थी ही, लोगों के मन में मलाल भी था कि बड़े लोग उनसे दूरी बनाते हैं। राकेश ने ऐसे लोगों के बीच पहुंचकर बातचीत का सिलसिला शुरू किया।  

बस्तियों में किए कार्यक्रम 

राकेश ने शहर में 15 बस्तियों को चिह्नित किया, जहां पहले कोई नहीं जाता था। इन बस्तियों में सहभोज किया। लोग अपने घरों से भोजन बनाकर लाते थे। फिर सब्जी को एक बड़े बर्तन में मिक्स कर रोटियां मिला दी जाती थीं। उसी भोजन को एक साथ बैठकर सभी आनंद से खाते थे। इससे समरसता बढ़ती गई। लोगों के मन में बैठा संकोच खत्म होने लगा। 

कन्याओं का किया पूजन 

बस्ती की कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन कराया। समाज के प्रतिष्ठित लोगों से कन्याओं के पांव धुलवाते। उन्हें तिलक करते व प्रसाद ग्रहण कराते।  

कई बार भर आईं आंखें 

राकेश बताते हैं कि उनके सामने कुछ ऐसे दृश्य आए, जिन्हें भूल नहीं सकते। तीन साल पहले तुर्कमानगेट में एक परिवार के घर गए। परिवार से पानी मांगा। परिवार के लोग आश्चर्यचकित रह गए। बोले, बाबूजी आज तक उनके द्वार पर कोई बड़ा आदमी नहीं आया और आप पानी पीने की बात कर रहे हैं। राकेश ने कहा कि पानी पिएंगे, भोजन भी करेंगे। यह सुन परिवार की आंखें भर आईं। राकेश कहते हैं कि अब तो शादी-ब्याह में भी बस्तियों से निमंत्रण आता है। 


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