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नई पीढ़ी ऐसे डालिए संस्कार, जिससे सशक्त होगा भारत Aligarh News

आरएसएस की तमाम ऐसी संस्थाएं हैं जो सेवा के साथ संस्कार देने का भी काम करती हैं। उसी में से एक है भारत विकास परिषद। परिषद की ओर से तमाम प्रतियाेगिताएं आयोजित की जाती हैं जिससे बच्चे और नई पीढ़ी संस्कार से जुड़ सके।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 11:31 AM (IST)
नई पीढ़ी ऐसे डालिए संस्कार, जिससे सशक्त होगा भारत Aligarh News
आरएसएस की तमाम ऐसी संस्थाएं हैं, जो सेवा के साथ संस्कार देने का भी काम करती हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आरएसएस की तमाम ऐसी संस्थाएं हैं, जो सेवा के साथ संस्कार देने का भी काम करती हैं। उसी में से एक है भारत विकास परिषद। परिषद की ओर से तमाम प्रतियाेगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिससे बच्चे और नई पीढ़ी संस्कार से जुड़ सके। रंगोली हमारे यहां प्राचीन परंपरा थी, मगर हम इसे भूलते चले जा रहे हैं। संस्कार भारती आज भी इस परंपरा को जीवंत बनाए हुए है।

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सत्‍य के मार्ग पर चलना जरूरी

जिस देश की संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी थीं, जिसका इतिहास दुनिया के तमाम देशों से हजार नहीं बल्कि लाखों वर्ष पुराना है, आज वही देश अपनी संस्कृति से दूर होता जा रहा है। भारत दुनिया में सबसे प्राचीन देशों में से एक है। अभी ईसवी सन 2021 तक दुनिया पहुंची है, भारत पांच हजार की यात्रा कर चुका है। कलियुग की गणना के अनुसार पांच हजार से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। यदि युगों की बात करेंगे तो यह लाखों वर्ष की पुरानी हमारी जड़ें हैं। सतयुग, द्वापर, त्रेता की यात्रा लाखों वर्ष की है। कलियुग की यात्रा ही चार लाख वर्ष से अधिक समय की चल रही है। राम-कृष्ण दो महानायक हैं, जिन्होंने भारत ही नहीं दुनिया को भी सीख दी है। त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपनी लीला से सारी दुनिया को मर्यादा की नई सीख दी, यह बताने की कोशिश की कि हमें कैसे जीवन जीना चाहिए, हमारे रिश्ते कैसे होने चाहिए, हमें त्याग और समर्पण से कैसे जीवन जीना चाहिए। प्रभु श्रीराम ने मान बिंदुओं का ध्यान रखते हुए एक आदर्श प्रस्तुत करने का काम किया है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से दुनिया को संदेश देने का काम किया। बचपन में कन्हैया के रुप में वृंदावन में रास रचाया। किशोरावस्था में कंस का वध किया। फिर द्वारिकापुरी पहुंचे। इसके बाद पांडव और कौरव के बीच में युद्ध में धर्म नीति का पाठ पढ़ाया। भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता का उपदेश देकर यह बताने की कोशिश की कि हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, कर्म को प्रधान मानना चाहिए। आज संपूर्ण दुनिया में गीता महाकाव्य आदर्श के रुप में है, जो समाज को नई ऊर्जा देती है। इतना सशक्त और गहरी जड़ों वाला देश आखिर क्यों भटक रहा है, ऐसे में भारत विकास परिषद ने नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का काम किया है।

समाज  के प्रत्‍येक वर्ग को जगाना जरूरी

परिषद की अध्यक्ष डा. मीरा वाष्र्णेय ने बताया कि हम गौरवशाली इतिहास नई पीढ़ी को बताने का काम कर रहे हैं। भारत को जानो प्रतियोगिता के माध्यम से देश के तमाम महापुरुषों के बारे में जानकारी देने का काम करते हैं। जिनके बारे में नई पीढ़ी भूलती जा रही है। पूरे देश में भारत विकास परिषद इस ओर तेजी से कार्य कर रहा है। हालांकि, मीरा वाष्र्णेय कहती हैं कि इसके लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को जागना होगा।


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