World Hypertension Day: बच्चों और महिलाओं को भी जकड़ रहा हाइपरटेंशन, ये हैं कारण, लक्षण और इलाज
हर साल 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। पहले यह बढ़ती उम्र की बीमारी मानी जाती है जो पुरुषों को ही अधिक चपेट में लेती थी। लेकिन अब महिलाएं और बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। ऐसे में इसके लक्षण जानना बेहद ज़रूरी है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता: हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप का दायरा बढ़ रहा है। पहले यह बढ़ती उम्र की बीमारी मानी जाती है, जो पुरुषों को ही अधिक चपेट में लेती थी। लेकिन, अब नौकरी, घर-परिवार की जिम्मेदारी और खेत-खलिहान पर काम करने वाली महिलाओं को भी हाइपरटेंशन अपने शिकंजे में जकड़ रहा है। चिंता की बात ये है कि बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं।
नेशनल प्रोग्राम फार प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवेस्क्युलर डिजीज एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के आकड़ों पर नजर डालें तो जनपद में एक जनवरी से अब तक हाइपरटेंशन के 2400 से अधिक नए मरीज नेशनल कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) क्लीनिक पर चिह्नित किए जा चुके हैं। निजी अस्पताल के आंकड़े अलग हैं, इससे विशेषज्ञ भी चिंतित हैं।
हाइपरटेंशन का बढ़ रहा दायरा
दीनदयाल अस्पताल, खैर, अतरौली व छर्रा में एनसीडी क्लीनिक की स्थापना की गई हैं। यहां गैर संचारी रोगियों को चिह्नित कर उपचार पर लिया जाता है। 2022 में कुुल 2450 नए मरीज हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के मिले। इनमें 1210 पुरुष व 1240 महिलाएं शामिल रहीं। 578 ऐसे मरीज सामने आए, जिन्हें शुगर के साथ हाइपरटेंशन भी था। इसी तरह 2021 में 2630, 2020 में 1270, 2019 में 2768 रोगी मिले। इनमें महिलाओं की संख्या 55-60 प्रतिशत रही।
आरामदायक जिंदगी और तनाव है कारण
वरिष्ठ फिजीशियन डा. जेएम राठी बताते हैं कि मशीनी युग में जिंदगी काफी आरामदायक हो गई है। व्यायाम व शारीरिक गतिविधियां कम हुई हैं। मसालों की पिसाई से लेकर कपड़ों की धुलाई सब मशीनों से हो रहा है। तैलीय व मसालेदार भोजन व फास्ट फूड का चलन बढ़ा, जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल रहे। मोटापा व अधिक वजन, नशे की प्रवृत्ति, कुछ महिलाओं में ज्यादा इच्छाएं व ईर्ष्या की प्रवृति व गुस्सा भी तनाव और डिप्रेशन को जन्म जन्म देता है। ऐसे में उच्च रक्तचाप की समस्या से घिरने लगती है।
हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा
पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय के कार्डियोलाजिस्ट डा. एसके ङ्क्षसघल बताते हैं कि हाइपरटेंशन से धमनियों में रक्त का दबाव बढऩे लगता है। सामान्य ब्लड प्रेशर 120-135 व 80-90 एमएमएचजी होना चाहिए। लगातार इससे ऊपर ब्लड प्रेशर से हार्टअटैक, ब्रेन हेमरेज, पैरालाइसिस व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। किडनी तक खराब हो जाती है। इसलिए मोटापा व ब्लड प्रेशर को नियंत्रण रखें।
बच्चों में मोटापा बना समस्या
किलकारी हास्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. विकास मेहरोत्रा ने बताया कि एक सर्वे में शहर में स्कूल जाने वाले 17 प्रतिशत बच्चे मोटापे के शिकार पाए गए। इनमें तीन प्रतिशत ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त मिले। कोरोना काल में दिनचर्या में बदलाव से मोटापा व ब्लड प्रेशर की समस्या और बढ़ गई। वजह, आनलाइन पढ़ाई, खेल मैदान से दूरी, शारीरिक कार्य में कमी, खानपान में बदलाव भी रहा। मोटापा से बचाव में दवा की भूमिका कम है। सुबह मार्निंग वाक या पार्क में ले जा सकते हैं। फास्ट फूड, चिकनाई युक्त भोजन, मिठाई आदि से परहेज करें। फल, ड्राइफूड, शाक-सब्जियां, गुड़, चने, छाछ आदि खिलाएं। ब्लड प्रेशर की समस्या में बच्चों को सांस लेने तक में समस्या हो सकती है।
ये हैं लक्षण
- घबराहट, तीव्र सिरदर्द, चक्कर आना, मतली, गुस्सा, नाक से खून।
- असमंजस की स्थिति, दृष्टि की समस्या।
- थकान, छाती में दर्द, सांस की समस्या, अनियमित हृदयगति।
- मूत्र में रक्त की उपस्थिति, दवाओं का दुष्प्रभाव होना।
ये भी हैं कारण
- धूमपान, तंबाकू व शराब का सेवन।
- शुगर की बीमारी, अवसाद, बढ़ती आयु, आधुनिक जीवन शैली।
- नमक, कैल्शियम, पोटेशियम व मैग्नीशियम का अधिक सेवन।
- मसालेदार व वसायुक्त भोजन, अनुवांशिक।