Move to Jagran APP

मन के मंदिर में विराजते हैं प्रभु

अलीगढ़ : क्षेत्र के गांव नगला सरूआ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Dec 2017 12:19 AM (IST)Updated: Wed, 27 Dec 2017 12:19 AM (IST)
मन के मंदिर में  विराजते हैं प्रभु
मन के मंदिर में विराजते हैं प्रभु

अलीगढ़ : क्षेत्र के गांव नगला सरूआ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा व्यास राहुल कृष्ण शास्त्री ने कहा कि व्यक्ति में ईश्वर समान रूप से गुण व अवगुण प्रदान करता है। अंतर बस दुर्गुणों का होता है। अच्छी संगत में रहने वाले लोग दुर्गुणों से दूर रहते हैं। जबकि कुसंगति का प्रभाव दुर्गुणों के नजदीक होता है। उन्होंने बताया कि मानव में धन आने से अहंकार व अभिमान पैदा होता है, जिससे वह ईश्वर को भुला देता है, लेकिन क्षणिक कष्ट आने पर वह भगवान की शरण मे पहुंच जाता है। इसलिए हमें कभी भी ईश्वर को नहीं भुलाना चाहिए। उसका चितंन व मनन हमेशा करते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि ईश्वर को कहीं खोजने की जरूरत नहीं है वह मन रूपी मंदिर में ही विराजते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.