अलीगढ़ में इस तकनीक से पानी की कम खपत से तैयार हो रही पौध
अलीगढ़ के एक्सीलेंस सेंटर में पानी की कम खपत में सब्जी फल फूल की पौध तैयार हो रही है। घटते जलस्तर से बिगड़ी भूगर्भ की सेहत को सुधारने के इस प्रयास का हिस्सा बनकर जिले के किसान इस नई तकनीक का लाभ ले रहे हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। जवाहर पार्क में स्थापित मंडल के पहले एक्सीलेंस सेंटर में बूंद-बूंद सिंचाई से सब्जी, फल, फूल की पौध तैयार हो रही है। सेंटर की क्षमता साल में 15 लाख पौध तैयार करने की है। शिमला मिर्च, खरबूज, तरबूज, लौकी आदि की चार से पांच लाख पौध तैयार हो रही हैं। बूंद-बूंद सिंचाई से पानी की खपत कम होती है और पौधों को भरपूर पानी मिलता है। घटते भूगर्भ जलस्तर को देखते हुए ये प्रयास बेहतर हैं।
किसान सेंटर पर अपना बीज देते हैं तो एक रुपये प्रति पौध लिया जाता है। वहीं, सेंटर द्वारा दिए गए बीज के साथ तैयार प्रति पौध का ढाई रुपये देना होता है। किसान पौध पैक कराना चाहे तो 60 रुपये पैकिंग मैटेरियल का चार्ज रखा गया है।
घटते जलस्तर से बिगड़ी भूगर्भ की सेहत को सुधारने के लिए कृषि अधिकारी सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) प्रणाली को बेहतर बता रहे हैं। उप कृषि निदेशक शोध डा. वीके सचान बताते हैं कि इस प्रणाली से न सिर्फ भूजल स्तर में सुधार होगा, पैदावार भी बढ़ेगी। अलीगढ़ जैसे उन जिलों के लिए ये प्रणाली महत्व रखती है, जहां अत्याधिक दोहन से भूजल प्रतिवर्ष घट रहा है। किसान अब जागरूक हो रहे हैं। 400 से अधिक किसान इसी प्रणाली से अपने खेतों को सींच रहे हैं। जनपद में 3,71,261 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इसमें 2,70,670 हेक्टेयर में निजी नलकूप और 5,225 हेक्टेयर में सरकारी नलकूपों से सिंचाई होती है। बाकी भूमि नहरों पर निर्भर है। 65,420 नलकूप 2,75,895 हेक्टेयर में सिंचाई करने के लिए भूगर्भ से लाखों लीटर पानी निकालते हैं। जबकि, इतने पानी की फसलों को आवश्यकता ही नहीं होती। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के जरिए फसलों को उनकी जरूरत के हिसाब से पानी दिया जाता है। इससे 48 फीसद पानी की बचत होती है। जवाहर पार्क में स्थापित एक्सीलेंस सेंटर में इसी तकनीक से पौध उत्पादन हो रहा है।
ये है तकनीक
माइक्रो इरिगेशन प्रणाली में ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई), माइक्रो स्प्रिंकल (सूक्ष्म फव्वारा), लोकलाइज इरिगेशन (पौधे की जड़ को पानी देना) आदि तरीके हैं। अलीगढ़ में ड्रिप व स्प्रिंकल विधि अधिक प्रयोग हो रही है।