अलीगढ़ में टीबी कर्मियों को खांसी-बुखार के लक्षण बताने से डर रहे लोग
वास्थ्य विभाग एक्टिव केस फाइंडिग अभियान चला रहा है। इसमें घर-घर जाकर मरीजों की स्क्रीनिग कर टीबी व कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों को चिह्नित किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : स्वास्थ्य विभाग एक्टिव केस फाइंडिग अभियान चला रहा है। इसमें घर-घर जाकर मरीजों की स्क्रीनिग कर टीबी व कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों को चिह्नित किया जा रहा है। टीमों के समक्ष परेशानी ये है कि टीबी के संदिग्ध मरीज भी खांसी, बुखार व सांस फूलने जैसे लक्षण छुपा रहे हैं। अभियान में कोविड-19 वायरस की स्क्रीनिग भी साथ चल रही है, जिसके लक्षण कुछ ऐसे ही हैं। कोविड मरीजों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश हैं। लोगों को समझाने में टीमों के पसीने छूट रहे हैं।
टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान में 403 टीम क्षय रोगियों को खोजने के लिए खांसी, सायं के समय बुखार का आना, खांसी के साथ खून आना, भूख न लगना व वजन लगातार कम होना जैसे लक्षण वाले लोगों की जानकारी कर रही है। पांच दिन में चार लाख से अधिक व्यक्तियों की स्क्रीनिग की गई है। इनमें से करीब 700 लोगों की टीबी की जांच की जा चुकी है। उनके बलगम की जांच और एक्सरे करने के बाद टीबी के 50 से अधिक रोगी चिह्नित किए जा चुके हैं। सभी को इलाज पर लिया गया है, मगर कुछ लोगों के सहयोग न करने से अभियान बाधित भी हो रहा है।
कार्यक्रम की समीक्षा : जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर व उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रोहित गोयल रोजाना समीक्षा कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर सर्वे कर रही है। चिह्नित मरीजों को इलाज पर लिया जा रहा है। सभी को निक्षय योजना के तहत 500 रुपये प्रतिमाह इलाज की अवधि तक मिलेंगे। यह धनराशि मरीज को पोषण के लिए दी जाती है, क्योंकि टीबी के मरीज इलाज के दौरान कमजोर हो जाते हैं।
सही दिशा में चल रहा अभियान
जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि कुछ लोग शुरू में टीम के घर पहुंचते ही सहयोग नहीं करते हैं। जब उन्हें समझाया जाता है तो सहयोग करते हुए लक्षणों के बारे में बताने लगते हैं। इस कारण अलीगढ़ में अभियान सही दिशा में चल रहा है।