Move to Jagran APP

पद्मश्री काका हाथरसी के अवसान दिवस पर विशेष: काका की 'हजल' में थी हास्य की फुहार

जब बात गजल की होती है तो संजीदगी का भाव आता है लेकिन काका के दिलो-दिमाग में गजल के मायने अलग थे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 08:25 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 03:03 PM (IST)
पद्मश्री काका हाथरसी के अवसान दिवस पर विशेष: काका की 'हजल' में थी हास्य की फुहार

हाथरस [हिमांशु गुप्ता]: जब बात गजल की होती है तो संजीदगी का भाव आता है, लेकिन काका के दिलो-दिमाग में गजल के मायने अलग थे। दुनियाभर में हास्य के दम पर हाथरस की पहचान बनाने वाले काका हाथरसी की गजलों पर भी ठहाके लगते थे। उन्होंने इसे 'हजल' का नाम दिया। ताउम्र हंसने-हंसाने वाले काका ने अपनी मौत पर भी लोगों को हंसने सा संदेश दे गए थे। यह संयोग ही है कि जिस तारीख को काका का जन्म हुआ, उसी दिन उन्होंने दुनिया से विदा ली। 

loksabha election banner

काका का परिचय

प्रभूलाल गर्ग उर्फ काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर 1906 को शिवलाल गर्ग के यहां हुआ था। जन्म के दो माह बाद ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। माताजी बरफी देवी उन्हें लेकर अलीगढ़ के इगलास में अपने मायके आ गईं। वहीं उनका बचपन बीता। 16 वर्ष की आयु में हाथरस आने के बाद उन्होंने आढ़त पर मुंशी की नौकरी भी की। बचपन से ही कला और कविता लेखन में रुचि थी। 

जब प्रभूलाल बने 'काका'

प्रभूलाल गर्ग उर्फ काका ने अग्रवाल समाज के एक कार्यक्रम में 'काका' की भूमिका निभाई थी। अगले दिन से ही जब वे घर से निकले तो लोगों ने काका कहना शुरू कर दिया। तभी से उनका उप नाम काका पड़ गया। ब्रजभाषा की विरासत में मिली पर अंग्रेजी और उर्दू पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी। 

काका की 'हजल'

काका हाथरसी की रचनाओं का संसार विशाल है। इनके कोष में कविताओं के साथ गजल भी हैं। गजल दर्द भरी नहीं, बल्कि से हास्य से परिपूर्ण। काका इन्हें 'हजल' कहा करते थे। उनके बेटे साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीनारायण गर्ग ने बताया कि उन्होंने लगभग एक दर्जन गजल लिखी हैैं, जिन्हें सुनकर कोई भी लोटपोट हो जाएगा। ये रहीं कुछ पंक्तियां हैं। 

'जो उड़ गयी जवानी, उसको बुलाएं कैसे, जो जुड़ गया बुढ़ापा, उसको छुड़ाएं कैसे।'

'बचपन की फ्रेंड गुडिय़ा, पचपन में हुई बुढिय़ा, अब प्रेम के पकौड़े, उसको खिलाएं कैसे।'

'बीवी की जिद पे हमने लगवा लिया है टीवी, घर में घुसे पड़ोसी, उनको भगाएं कैसे।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.