मौत के लिए मिथाइल एल्कोहल की 15 एमएल मात्रा ही काफी Aligarh news
देश में जहरीली शराब पीने से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होती है। नकली शराब बनती हर जगह है और धड़ल्ले से बिकती भी है लेकिन वो जहरीली तभी कही जाती है जब लोगों की जान चली जाए।
अलीगढ़, जेएनएन । देश में जहरीली शराब पीने से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होती है। नकली शराब बनती हर जगह है और धड़ल्ले से बिकती भी है, लेकिन वो जहरीली तभी कही जाती है, जब लोगों की जान चली जाए। लोग सोचते हैं कि आखिर जहरीली शराब में ऐसा क्या होता है कि उसे पीते ही जान चली जाती है। शराब के दो घूंट ही उनका दम घोंट देते हैं। आइए, इसके बारे में जाने...
पीने वाले व्यक्ति को नशा
सीनियर पैथोलाजिस्ट डा. भरत कुमार वाष्र्णेय के अनुसार डिस्टिलरी प्लांट से निकलने वाली शराब, जो सरकारी दुकानों पर बेची जाती है, उसे खास तापमान में डिस्टिल्ड किया जाता है, ताकि केवल एथाइल एल्कोहल (ऐथेनाल) आए। यह केवल पीने वाले व्यक्ति को नशा करता है। कच्ची या जहरीली शराब बनाने के लिए कई तरह के घातक रसायन व वस्तुएं इस्तेमाल की जाती हैं। इसमें कोई तय तापमान नहीं होता, जिससे एथाइल के साथ मिथाइल, एथाइल, प्रोपाइल आदि एल्कोहल भी शराब में शामिल हो जाते हैं। मिथाइल सबसे ज्यादा खतरनाक एल्कोहल होता है। इसका सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है, दिमाग पर पड़ता है। यह सीधे तौर पर लिवर को भी प्रभावित करता है। इसके 15 एमएल (मिलीलीटर) के सेवन से ही व्यक्ति की मौत हो सकती है। व्यक्ति अंधा हो सकता है।
मिथाइल एल्कोहल से बनता है फार्मेल्डिहाइड
डा. भरत के अनुसार मिथाइल एल्कोहल के लिवर में पहुंचने पर फार्मेल्डिहाइड बन जाता है, जो एक तरह का तीव्र जहर है। इसका फार्मेलीन नाम से कामर्शियल इस्तेमाल भी होता है। मिथाइल एल्कोहाल का इस्तेमाल ज्यादातर पेंट व प्लाईवुड इंडस्ट्रीज में होता है। इसी मिथाइल एल्कोहल को सस्ती शराब बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। खतरे से अनजान लोग इसका शराब के रूप में सेवन करते हैं और जान गंवा देते हैं।