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कभी आगरा से दिखता था मथुरा की मंदिर का गुंबद, हिंदुओं की ख्‍याति देख औरंगजेब ने ध्‍वस्‍त कराया था मंदिर

अलीगढ़ जागरण संवाददाता। अखिल भारत हिंदू महासभा की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने मथुरा में सरकार द्वारा हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं को श्री कृष्ण जन्म स्थान पर जाने से रोके जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा यह हमारा अधिकार है ।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 03:48 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 03:49 PM (IST)
अखिल भारत हिंदू महासभा की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। अखिल भारत हिंदू महासभा की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने मथुरा में सरकार द्वारा हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं को श्री कृष्ण जन्म स्थान पर जाने से रोके जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा यह हमारा अधिकार है और हम अपने अधिकारों के लिए जान दे सकते हैं और जरूरत पड़ी तो जान ले भी सकते हैं। हिंदू महासभा के संघर्षों से ही कृष्ण जन्म भूमि पर मंदिर बना।

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सरकार हमें मजबूर नहीं कर सकती

हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने ही कृष्ण जन्मभूमि का पूरा परिसर खरीदा, जिसमें ईदगाह भी आती है। तात्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए वहां पर नमाज की अनुमति दी गई थी, परंतु जब हमारी जगह है तो सरकार मजबूर नहीं कर सकती वहां पर किसी को हमारी मर्जी के बिना नमाज पढ़ाने के लिए मजबूर नही कर सकता। जो लोग हिंदू महासभा का इतिहास नहीं जानते वे जान लें। मथुरा में जहां वासुदेव-देवकी को बंदी बनाकर रखा उस कंस के कारागार के स्थान पर पहला श्रीकृष्ण मंदिर, जहांं भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उसें श्रीकृष्ण के पडपोते “ब्रजनाभ ” ने बनवाया था। यह मंदिर वर्ष 1017-18 में महमूद गजनवी के कोप का भाजन बना।

शब्‍दों व चित्रों में मंदिर का वर्णन करना नामुमकिन

डाक्टर अनपूर्णा ने कहा कि मीर मुंशी अल उताबी, जो कि गजनी का सिपहसालार था ने तारीख-ए-यमिनी में लिखा है कि मथुरा शहर के बीचो बिच एक भव्य मंदिर मौजूद है जिसे देखने पर लगता है की इसका निर्माण फरिश्तो ने कराया होगा। इस मंदिर का वर्णन शब्दों एवं चित्रों में करना नामुमकिन है। सुल्तान खुद कहते है कि, अगर कोई इस भव्य मंदिर को बनाना चाहे तो कम से कम 10 करोड़ दीनार और 200 साल लगेंगे।“ ऐसे मंदिर को गजनी ने अपने गुस्से की आग में आकर ध्वस्त कर दिया। संस्कृत के एक शिला लेख से ज्ञात होता है कि महाराजा विजयपाल देव जब मथुरा के शासक थे, तब सन 1150 में जज्ज नामक किसी व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर एक नया मंदिर बनवाया। सिकंदर लोदी के शासनकाल में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर एक बार पुनः तोडा गया।

36 मील दूर आगरा से दिखायी देती थी मंदिर की बाहरी त्‍वचा

फ्रांस एवं इटली से आये तत्कालीन विदेशी यात्रियों ने इस मंदिर की व्याख्या अपनी लेखनियो से सुरुचिपूर्ण और वास्तुशास्त्र के एक अतुल्य एवं अदभुत कीर्तिमान के रूप में की, वो आगे लिखते है कि “इस मंदिर की बाहरी त्वचा सोने से ढकी हुई थी और यह इतना ऊंचा था कि 36 मील दूर आगरा से भी दिखाई देता था। इस मंदिर की हिन्दू समाज में ख्याति देखकर औरंगजेब नाराज हो गया जिसके कारण उसने वर्ष 1669 में मंदिर को ध्वस्त करवाया। वह इस मंदिर से इतना चिढा हुआ था की उसने मंदिर से प्राप्त अवशेषों से अपने लिए एक विशाल कुर्सी बनाने का आदेश दिया। उसने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर ईदगाह बनाने का भी आदेश दिया। अंततः आगरा और मथुरा पर मराठा साम्राज्य का अधिकार हो गया। वर्ष 1944 में अखिल भारत हिंदू महासभा संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रेरणा से हिंदू महासभाई सेठ जुगल किशोर बिडला ने श्रीकृष्ण जन्म क्षेत्र 13,400 रुपए में 7 फरवरी 1944 को खरीद लिया । मालवीय की मंदिर पुनरूद्धार की योजना उनके जीवनकाल में पूरी न हो सकी, उनकी अन्तिम इच्छा के अनुसार बिड़ला ने 21 फ़रवरी 1051 को एक ट्रस्ट बनाया।

छह बार न्‍यायालयों ने हिंदुओं का अधिकार होना स्‍वीकारा

अंतिम बार वर्ष 1960 में पुनः न्यायालय ने आदेश देते हुआ कहा कि “मथुरा नगर पालिका के बही खातों तथा दूसरे प्रमाणो का अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है की कटरा केशवदेव जिसमे ईदगाह भी शामिल है का लैंड टैक्स श्रीकृष्ण जन्मभूमि संस्था द्वारा ही दिया जाता है। इससे यह साबित होता है कि," विवादित जमीन पर केवल इसी ट्रस्ट का अधिकार है। डाक्टर अन्नपूर्णा ने कहा कि इस प्रकार एक बार नहीं पूरे छह बार न्यायालयों ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा पर हिन्दुओ का अधिकार स्वीकार किया। इसलिए मथुरा सिर्फ कन्हैया की है, वहां किसी अन्य धार्मिक स्थल को स्थान देना गलत है। डाक्टर अन्नपूर्णा ने कहा कि हम लड़ रहे है, लड़ते रहेंगे। उन्‍होंने सभी कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक संख्या में मथुरा पहुंचें साथ ही धैर्य रखें और शांति बनाए रखें।


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