एनआइए की टीम भी लौटी खाली हाथ
जागरण संवाददाता, अलीगढ़: बन्नादेवी के बीमानगर, सारसौल में बीते शुक्रवार को हुए भीषण विस्फा
जागरण संवाददाता, अलीगढ़: बन्नादेवी के बीमानगर, सारसौल में बीते शुक्रवार को हुए भीषण विस्फोट के की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है। विस्फोट की भयानकता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम भी घटना स्थल को देखने पहुंची थी, हालांकि कुछ हाथ नहीं लगा। उधर पांचवें दिन इलाके में जिंदगी पुराने ढर्रे पर लौटती नजर आई। हालांकि विस्फोट के बाद लोगों में अभी भी दहशत बरकरार है।
08 सितंबर की सुबह हुए विस्फोट में यहां के गंगाराम राजमिस्त्री ठेकेदार की पत्नी पुष्पा देवी, बेटा कुंवरपाल सिंह व आशू उर्फ अजय की मौत हो गई थी। हादसे में ही उसके परिवार के अलावा करीब 16 लोग घायल हो गए थे। हादसे में पड़ोसी शंकरलाल के मकान ध्वस्त हो गए थे। जबकि अन्य पड़ोसी जानकी प्रसाद, आदित्य कुमार, ब्रजपाल सिंह, रामबाबू, सुंदर सिंह, त्रिलोक नाथ गुप्ता, बच्चू सिंह, यतेंद्र सिंह के मकानों व वहां खड़े वाहनों को भारी नुकसान पहुंचा था। कुंवरपाल व करोड़ीलाल की दुकानें ध्वस्त हो गई थीं। विस्फोट की जांच एटीएस, आइबी की टीम ने गहनता से की थी, लेकिन विस्फोट के कारणों का पता नहीं चल सका। एसएसपी राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि स्थानीय फारेंसिक टीम के साथ एनआइए की दो सदस्यीय टीम भी मौके पर गई थी। इस टीम को भी किसी विस्फोटक पदार्थ से विस्फोट होने के सबूत नहीं मिले।
दुकानें खुली, काम काज शुरू
घटनास्थल के पास की मिठाई, परचून, नाई, जर्राह, ऑटो पार्टस आदि की दुकानें मंगलवार से पूर्व की भांति खुलने लगी हैं। हालांकि वहां ग्राहकों की आमद जरूर कम रहीं लेकिन हादसे के बाद रूकी जिंदगी ने फिर से रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है।
स्कूल खुला पर छात्रों की संख्या रही कम : विस्फोट के बाद से बंद चल रहा इंडियन पब्लिक इंटर कॉलेज सोमवार से फिर से खुलना शुरू हो गया है। हालांकि पहले दिन विद्यार्थियों की उपस्थिति कम रही लेकिन मंगलवार को उसमें थोड़ी सी बढ़ोत्तरी हुई है। प्रबंधक आइपी सिंह ने बताया कि दहशत के चलते अभिभावक बच्चों को अभी कॉलेज भेजने से परहेज कर रहे हैं। अगले एक-दो दिन में हालात सामान्य हो जाएंगे।
खुले आसमान के नीचे आए परिवार : हादसे में सबसे अधिक प्रभावित गंगाराम ठेकेदार व शंकरलाल के परिवार मकानों के ध्वस्त हो जाने के बाद से परिजनों के साथ खुले आसमान के नीचे रहकर दिन व रात गुजारने को मजबूर हैं। अभी तक प्रशासन ने पीड़ित परिवार की कोई आर्थिक व अन्य प्रकार की मदद नहीं की है। जिससे वे टैंट के तंबू के नीचे रहने को मजबूर हैं। बकौल गंगाराम, परिजनों को खाना व अन्य प्रकार की मदद विभिन्न समाजसेवी लोगों ने की है। उन्होंने आरोप लगाया कि हादसे के बाद से प्रशासनिक अधिकारियों ने पलटकर देखा तक नहीं है। हादसे में घायल दोनों बेटियों के इलाज के लिए भी वह रुपयों तक के मोहताज बने हुए हैं।