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New Education Policy: सरकारी स्कूलों में भी प्ले, नर्सरी व केजी Aligarh News

नई शिक्षा नीति के तहत निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी बव्‍चे प्राइमरी (प्ले ग्रुप नर्सरी-केजी ) से पढ़ाई में शामिल होंगे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 06:22 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 02:08 PM (IST)
New Education Policy: सरकारी स्कूलों में भी प्ले, नर्सरी व केजी Aligarh News

अलीगढ़ जेएनएन: नई शिक्षा नीति के तहत निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी बव्‍चे प्राइमरी (प्ले ग्रुप, नर्सरी-केजी ) से पढ़ाई में शामिल होंगे। कक्षा एक में दाखिले से पहले इन कक्षाओं में ककहरा सिखाया जाएगा। प्ले ग्रुप की बात आएगी तो खेल व मनोरंजन के उपकरण जुटाए जाएंगें। नन्हे-मुन्नों की शिक्षा व सुरक्षा के लिए अतिरिक्त शिक्षक व स्टाफ की जरूरतें व चुनौती भी सामने होंगी। अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन के तहत गरीब परिवारों के ब'चों को तकनीकी सहायता से शिक्षा से जोडऩे का काम किया जाएगा। सरकार की ये पहल एक ओर नया कौतूहल लाई है तो दूसरी ओर अभिभावकों व शिक्षाविदों के ही नजरिये में अभी कल्पना की उधेड़बुन से बाहर नहीं आ रही है। बेसिक शिक्षा में ये पहल सफल रही तो स्कूलों की तस्वीर बदल जाएगी।

'टीचर्स एंड टॉट' के संतुलन की दिक्कत
प्ले ग्रुप, नर्सरी जैसी कक्षाओं के संचालन में टीचर्स एंड टॉट (शिक्षक व उनका ब'चों को पढ़ाने) के संतुलन में दिक्कत आएगी। बड़ी डिग्रियां लिए शिक्षक क्या छोटे ब'चों को हैंडल करेंगे? दो से चार शिक्षक एक से आठवीं की पढ़ाई संभालते हैं। निजी स्कूलों में ब'चों की नाक पोंछने से लेकर लघु शंका, दीर्घशंका, टिफिन खिलाने के लिए एक क्लास में दो शिक्षक व सहयोगी रहते हैं। सरकारी स्कूलों में बाउंड्री नहीं हैं। पशु घूमते हैं। क्या ब'चे सुरक्षित रहेंगे? ये बड़े सवाल हैं, जो इस पहल को कल्पना के जाल से बाहर नहीं आने देते।
डॉ. मंजू गौड़, ङ्क्षप्रसिपल शांतिनिकेतन वल्र्ड स्कूल

व्यवस्थाएं बनेंगी, मगर चुनौतियां भी होंगी
नई पहल करने में पहले तमाम चुनौतियां आती हैं। चुनौतियों से लड़कर ही मुकाम हासिल होता है। अभी प्ले ग्रुप, नर्सरी-केजी कक्षाओं के संचालन के बारे में शासन की ओर से गाइडलाइन आएगी। क्या व्यवस्थाएं की जाएंगी? बजट की क्या व्यवस्था होगी? कौन शिक्षक व स्टाफ ब'चों को संभालेंगे? इन सबके बारे में स्थिति स्पष्ट होने के बाद संचालन होगा। छोटी उम्र से ही ब'चे बेसिक शिक्षा में सुधरेंगे तो उ'च शिक्षा तक बेहतर परिणाम मिलेंगे।
डॉ. लक्ष्मीकांत पांडेय, बीएसए

अभिभावकों के बोल
अ'छी पहल है। कोरोना काल के चलते ब'चों को कहीं दाखिला नहीं दिलाया है। सरकारी स्कूलों में निजी जैसी व्यवस्था बन जाती है तो वहीं दाखिला दिलाएंगे। शिक्षा के साथ सुरक्षा भी जरूरी होगी।
विकास कुमार शर्मा, न्यू राजेंद्र नगर

सरकारी स्कूलों में निजी जैसी व्यवस्था हो तो ब'चों का दाखिला वहीं कराएंगे। क्या ऐसा हो पाएगा? अभी स्कूल बंद हैं इसलिए व्यवस्थाएं होने का इंतजार कर सकते हैं। ब'चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी शासन को तय करनी होगी।
रूबल जादौन, साईं विहार

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