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उपेक्षा के शिकार पौधे खुद मांग रहे आक्‍सीजन और पानी Aligarh news

विश्व पर्यावरण दिवस सरकारी विभागों में केवल मजाक सा बन कर रह गया है। हरदुआगंज तापीय परियोजना के विस्तार के लिए काटे गए पेड़ों के बदले रोपें जाने वाले पौधे देखभाल के अभाव में सूख रहे हैं। अधिकारी पौधों को सूखने के लिए जिम्मेदार अफसर पल्ला झाड़ रहेे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 10:47 AM (IST)
उपेक्षा के शिकार पौधे खुद मांग रहे आक्‍सीजन और पानी Aligarh news
विश्व पर्यावरण दिवस सरकारी विभागों में केवल मजाक सा बन कर रह गया है।

अलीगढ़, जेएनएन । विश्व पर्यावरण दिवस सरकारी विभागों में केवल मजाक सा बन कर रह गया है। हरदुआगंज तापीय परियोजना के विस्तार के लिए काटे गए पेड़ों के बदले रोपें जाने वाले पौधे देखभाल के अभाव में सूख रहे हैं। अधिकारी पौधों को सूखने के लिए जिम्मेदार अफसर पल्ला झाड़ रहेे हैं।

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2015 में कासिमपुर में 660 मेगावाट की नई यूनिट का हुआ था शिलान्‍यास

11 दिसंबर 2015 को तत्कालीन मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने कासिमुपर की नई 660 मेगावाट की नई यूनिट के लिए का शिलान्यास किया गया था। परियोजना के विस्तार के लिए जमीन पर खड़े 1800 पेड़ों को काट दिया गया। इनकी नीलामी 90 लाख रुपये में हुई थी। इसमें नीम, जामुन, गूलर, शीशम, सेमल अमलताश, आम व अन्य प्रजातियों के कई दशक पुराने हरे पेड़ थे। अपर गंग नहर के पास सिंचाई भाग का अतिथि गृह जर्जर हालत में हैं। यहां खाली जगह में हरदुआगंज तापीय विद्युत परियोजना के खर्चे पर वन विभाग की ओर से साढ़े तीन हेक्टेयर जमीन में 7000 हजार पौधे साढ़े पांच साल पहले वन विभाग की ओर से लगाए गए थे। नहर और रजबहा के बीच बनाई गई नर्सरी में कई पौधेे सूख चुके हैं। देखभाल न होने से भाग व अन्य तरह के जंगली पौधे उग कर इतने बड़े हो गए हैं कि लगाए गए पौधे दिखाई नहीं देते हैं। यहीं हालत साथा ग्राम पंचायत की जमीन पर 2018 में बनाई नर्सरी की है। ग्राम पंचायत साथा में परियोजना प्रबंधन एवं वन विभाग अलीगढ़ के माध्यम से लाखों का खर्चा कर 20 हजार पौधे लगाए गए। लेकिन वहां की देख रेख के अभाव में सैकड़ों पौधें सूख गए।

ये प्रजातियां लगाई गई हैं

स्टर कुलिया, कंजी, टिकोमा, बालमखीरा, होवीकस, बोतलब्रश, जरुल, बकायन, सागौन, बहेड़ा, पीपल, अर्जुन, सावनी, बहेड़ा, गुलमोहर,पिल्खुन, जामुन, बकायन, सिरस आदि के पौधे लगाए गए ।

खासबात

जानकारों केे मुताबिक जितने भी हरे पेड़ काटे गए हैं उसकेे दो गुने हिसाब से पौधे लगाने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नई यूनिट का काम शुरू हो गया है लेकिन अभी तक आसपास इन पौधों को नहीं लगाया गया है। नर्सरी में इन पौधों की हालत देखकर नहीं लगता कि कई दशक पुरानी हरियाली को फिर से जिंदा रख पाएंगे।

अधिकारी बोले

इस सबंध में 660 मेगावाट यूनिट के अधिशासी अभियंता निशिथ शर्मा ने बताया बोर्ड़ की तरफ से वन विभाग को नर्सरी के पौधों की देख भाल करने के लिए करोड़ों रूपये दिए जा चुकें है। वहीं इस सबंध में वन रेंजर अरविन्द कुमार ने बताया नर्सरी की देख भाल के लिए बोर्ड़ की तरफ से पेमेंट नहीं किया गया है।


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