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अलीगढ़ में सूखी पड़ी है नीम नदी, जीवित करने के लिए आप भी कदम बढ़ाइये... Aligarh news

जिले की सीमा से होकर निकल रही नीम नदी प्रवाह के इंतजार में है। मेरठ भगीरथों ने अथक प्रयास करके नदी में पानी लाने का काम किया है मगर अलीगढ़ के मलहपुर गांव के निकट यह नदी सूखी हुई है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 09:22 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 12:37 PM (IST)
जिले की सीमा से होकर निकल रही नीम नदी प्रवाह के इंतजार में है।

अलीगढ़, जेएनएन : जिले की सीमा से होकर निकल रही नीम नदी प्रवाह के इंतजार में है। मेरठ भगीरथों ने अथक प्रयास करके नदी में पानी लाने का काम किया है, मगर अलीगढ़ के मलहपुर गांव के निकट यह नदी सूखी हुई है। 20 साल पहले नीम नदी बारिश के दिनों में उफान मारा करती थी, मगर अब यह तमाम जगहों पर कब्जे की जद में है। कुछ गांवों के पास तो यह नाले की तरह नजर आती है। अलीगढ़ में भी भगीरथों का इंतजार है, जो हाथ में फावड़ा और कुदाल लेकर नदी के प्रवाह का रास्ता बनाएं। यदि आपने हुंकार भर दी तो सच मानिए, नीम नदी में एक बार फिर जल बहता हुआ दिखाई देगा। 

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बुलंदशहर से होकर आती है नीम नदी

नीम नदी बुलंदशहर से होकर आती है। जिले में अतरौली तहसील के मलहपुर गांव से अलीगढ़ में यह प्रवेश करती है। कनकपुर, पनेहरा, नगला बंजारा, खड़़ौआ, आलमपुर, जिरौली होते हुए यह कासगंज जिला (पहले एटा) में प्रवेश करती है। अलीगढ़ में नदी की लंबाई करीब 40 किमी थी। चौड़ाई भी 50 से 100 मीटर तक थी। मगर, वर्तमान में नदी का सिर्फ निशान ही देखा जा सकता है। 20 साल पहले नीम नदी के प्रवाह से दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को फायदा होता था। नदी के किनारे बसे गांव कनकपुर, पनेहरा आदि के लोग नदी में स्नान करते थे। पशु-पक्षी की पानी पीने की व्यवस्था थी। मगर, इन गांवों के पास ही नदी पर कब्जा जमा लिया गया। कुछ स्थानों पर तो लोगों ने नदी को धीरे-धीरे अपने खेत में शामिल कर लिया। इससे नदी का अस्तित्व खत्म होता चला गया। अब बारिश के दिनों में भी नीम नदी में पानी नहीं दिखाई देता है। हां, पुल के पास कुछ पानी है, मगर अन्य स्थानों पर नदी में पानी नहीं है।

 

कब्जे पर नहीं की कार्रवाई 

नदी पर कब्जा होता गया मगर इसकी ङ्क्षचता किसी ने नहीं की। कब्जे के बाद भी तहसीलदार, बीडीओ और लेखपालों ने कुछ नहीं किया। बात-बात पर फीता लेकर दौडऩे वाले लेखपाल भी इसपर चुप्पी साधे रहे। इसी का परिणाम रहा कि नीम नदी अपना अस्तित्व खोती चली गई। इसका दुष्परिणाम भी हुआ। कनकपुर, पनहेरा आदि गांवों में भूजल स्तर भी गिरता रहा, मगर गांव के लोगों ने भी ङ्क्षचता नहीं की। 

उठिए और रच दीजिए इतिहास 

नीम नदी को बचाने के लिए मेरठ आदि जिलों में तमाम हाथ उठ खड़े हुए हैं। जिले के लोगों को भी इसके लिए आगे आना चाहिए। यदि हजारों हाथ उठ खड़े होंगे तो नीम नदी में जल जरूर लौटेगा। क्योंकि तमाम नदियों में पानी लाने के लिए लोग आगे आए। इससे नदी में पानी आया। यदि हम सभी मिलकर प्रयास करेंगे तो निश्चित सफलता मिलेगी। आसपास के गांवों में सिर्फ जागरूकता लाने की जरूरत है। 

इनका कहना है

नीम नदी में पानी आने से तमाम किसानों को लाभ होगा। नदी में पानी आने पर किसान को बिजली के आने या जाने से कोई मतलब भी नहीं रहेगा।

- राधेश्याम गांव कलियानपुर खेड़ा।

नीम नदी के उद्धार के लिए कुछ महीने पहले साफ सफाई कराई गई थी। मगर पानी नहीं आया। किसानों को पानी आने की उम्मीद थी।

- हरी सिंह गांव कलियानपुर

नीम नदी में पानी आने से तमाम गांव के सैकड़ों किसानों को काफी लाभ पहुंचेगा। सफाई होने के दौरान गांव के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। 

- अशोक कुमार गांव मेहरा

नीम नदी में कई दशक से पानी नहीं आया है। अगर इस नील नदी को किसी बड़ी नहर से जोड़ दिया जाए तो सैकड़ों किसानों को काफी लाभ होगा। 

- अमित राघव गांव सलारपुर।


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