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Municipal Corporation Aligarh : राहगीरों की मुश्किलें बढ़ा रहा सड़क पर बना डलावघर

Municipal Corporation Aligarh ऐसा होता नहीं है मगर हो रहा है। नगर निगम है कुछ भी कर सकता है। कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट (डलावघर) को ही लीजिए इसके चयन के लिए मंथन होता है बकायदा प्रस्ताव पारित किया जाता है। तब डलावघर स्थापित होता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:38 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 07:38 AM (IST)
वाहनों के चलने से कचरा सड़क पर बिखरता है।

अलीगढ़, जेएनएन। ऐसा होता नहीं है, मगर हो रहा है। नगर निगम है, कुछ भी कर सकता है। कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट (डलावघर) को ही लीजिए, इसके चयन के लिए मंथन होता है, बकायदा प्रस्ताव पारित किया जाता है। तब डलावघर स्थापित होता है। यह नहीं कि जहां चाहे वहीं कचरा डालना शुरू कर दिया जाए। लेकिन, यहां ऐसा ही हाे रहा है। नगला तिकोना में मुख्य मार्ग पर अघोषित डलावघर है। नगर निगम कर्मचारी आसपास से कचरा एकत्रित कर यहीं डाल जाते हैं। कुछ देर बाद कचरे का ढेर लग जाता है। दोपहर तक यही तस्वीर नजर आती है। फिर एटूजेड के वाहन कचरा उठाकर प्लांट ले जाते हैं। क्षेत्रीय लोग डलावघर हटाने की मांग रहे हैं। कह रहे हैं कि फिलहाल डलावघर न हट सके तो समय से कूड़ा ही उठा लिया जाए।

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सड़क पर ही कचरा, राहगीर परेशान

वार्ड 51 में शामिल नगला तिकोना और इससे सटे गली-मोहल्लों में साफ-सफाई तो ठीक-ठाक है। लेकिन, मुख्य मार्ग पर प्रतिदिन लगने वाला कचरे का ढेर स्वच्छता की तस्वीर को बिगाड़ रहा है। सड़क इतनी चौड़ी नहीं है कि डलावघर को झेल सके। कूड़ा पड़ने के बाद संकरी हो जाती है। वाहनों के चलने से कचरा सड़क पर बिखरता है। नाली भी कूड़े से अट जाती है, जिससे निकासी अवरुद्ध रहती है। करीब 25 मीटर तक कचरा पड़ा रहता है। मवेशियों के झुंड यहां मंडराते हैं, इनसे भी आवागमन प्रभावित है। गंदगी-दुर्गंध से स्थानीय लोगों का बुरा हाल है। यही नहीं, निर्धारित समय पर कूड़ा नहीं उठ रहा। प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे तक डलावघराें से कूड़ा उठाने के निर्देश हैं। लेकिन 12 बजे के बाद कूड़ा उठ रहा है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि आबादी में डलावघर बनने ही नहीं चाहिए। इससे गंदगी तो होती ही है, बीमारियां फैलने की संभावना भी रहती है। क्षेत्रीय पार्षद डलावघर को कहीं और शिफ्ट करने, या फिर समय से कूड़ा उठाने की मांग कई बार कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

डेढ़ साल में बढ़ गए 24 डलावघर

शहर में प्रतिदिन 450 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। एटूजेड कंपनी के वाहन डलावघरों से कूड़ा उठाकर मथुरा रोड स्थित प्लांट में निस्तारण के लिए ले जाते हैं। नगर निगम ने 84 डलावघर स्थापित किए थे। डेढ़ साल पहले तक डलावघरों की यही संख्या रही। अब इनकी संख्या बढ़कर 208 हो गई है। इनमें कुछ अघोषित हैं, तो कुछ नगर निगम द्वारा बढ़ाए गए हैं। जबकि, 2019 में आबादी वाले इलाकों से डलावघर हटाने का निर्णय लिया गया था।

वार्ड 51 की स्थिति

आबादी, 13000

मतदाता, 9000

नलकूप, दो

पार्क, चार

वाटर कनेक्शन, 1200

ओवरहेड टैंक, एक

सफाईकर्मी, 15

सड़क पर डलावघर नहीं होना चाहिए। नगर तिकोना मार्ग पर हर रोज कचरे का ढेर लगा रहता है। सुबह ही कचरा उठा लिया जाए, तो भी ठीक है।

डा. उमेश चंद्र, संगम विहार

नगला तिकाेना मार्ग पर ही मेरी दुकान है। गंदगी-दुर्गंध से काफी परेशानी होती है। कचरा इधर-उधर बिखर जाता है। सफाई के बाद कर्मचारी चूना भी नहीं डालते।

भगवती, नगला तिकोना

सड़क डलावघर होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं। कचरा नाली में चला जाता है। डलावघर शिफ्ट नहीं हो सकता तो नाली पाट दी जाए। सुबह ही कचरा उठ जाया करे तो परेशानी न हो।

डा. मुकेश शर्मा, क्षेत्रीय पार्षद


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