डायबिटीज की जकड़ में सर्वाधिक महिलाएं,ये है वजह Aligarh News
परिवार की जिम्मेदारियां उठा रहीं महिलाएं हों या फिर नौकरी करने वालीं पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा डायबिटीज (मधुमेह) की शिकार हो रही हैं।
अलीगढ़ (जेएनएन) : परिवार की जिम्मेदारियां उठा रहीं महिलाएं हों या फिर नौकरी करने वालीं, पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा डायबिटीज (मधुमेह) की शिकार हो रही हैं। जनपद की एनसीडी क्लीनिक के संयुक्त आंकड़े बताते हैं कि 30 अक्टूबर तक डायबिटीज के कुल 5736 मरीज सामने आए, इनमें 2767 पुरुष तो 2969 महिलाएं पाई गईं। ऐसे में जहां पुरुषों को सचेत रहने की जरूरत है, वहीं महिलाओं को भी अब जागरूक होना होगा।
बढ़ रही मरीजों की संख्या
नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्क्युलर डिजीज एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के तहत दीनदयाल अस्पताल, छर्रा, हरदुआगंज, अतरौली खैर व अकराबाद स्थित एनसीडी क्लीनिक में एक अप्रैल 2019 से 30 अक्टूबर 2019 तक 74 हजार 226 मरीज देखे गए। शहरी क्षेत्र में 1256 व ग्र्रामीण क्षेत्र में 4480 डायबिटीज रोगी पाए गए। दीनदयाल अस्पताल में 363 मरीज (187 पुरुष व 176 महिला) ऐसे थे, जिन्हें डायबिटीज के साथ हाइपरटेंशन भी थी।
जीवनशैली व खानपान का ज्यादा असर
दीनदयाल अस्पताल स्थित जेरियाट्रिक क्लीनिक के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. राजेंद्र वाष्र्णेय बताते हैं कि ज्यादा वजन, अधिक देर तक बैठने वाला काम करना, मानसिक तनाव व धूमपान, दवाओं का अधिक सेवन, गर्भावस्था व बढ़ती आयु, वसायुक्त पदार्थ, बार-बार गर्भपात व अधिक वजन के बच्चे को जन्म, पूरी नींद न लेना, मोटापा, संतुलित आहार व व्यायाम की कमी आदि डायबिटीज के प्रमुख कारण हैं। कई मरीजों में यह अनुवांशिक हो सकती है।
तनाव में महिलाएं
दोदपुर स्थित डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉ. एसएस अकबर बताते हैं कि महिलाओं में डायबिटीज के अन्य कारक तो है हीं, तनाव व घबराहट भी जिम्मेदार है। वे पुरुषों की तुलना में ज्यादा तनाव लेती हैं। तनाव से शरीर में ऐसे हार्मोंस निकलते हैं, जिससे इंसुलिन जनरेट नहीं होता या कम होता है।
ये है डायबिटीज
इंसुलिन ही शरीर में कार्बोहाइड्रेट, फैट व प्रोटीन के मोटोबोलिज्म को कंट्रोल करता है। इसका अर्थ, खाना पचाने की वह प्रक्रिया, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। इंसुलिन कम बनने या न बनने की अवस्था ही डायबिटीज है। यह दो प्रकार की होती है। टाइप-वन और टाइप-टू। विशेषज्ञों के अनुसार डायबिटीज को धीमी मौत यानी साइलेंट किलर भी कह सकते हैं। इसमें रोगी का ब्लड शुगर लेबल जरूरत से अधिक हो जाता है। शुगर नियंत्रित न होने पर आंखों, गुर्दे, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज के लक्षण
- अत्यधिक प्यास।
- बार-बार पेशाब आना।
- ज्यादा भूख लगना।
- कमजोरी।
- जख्म देर से भरना।
- हाथ, पैर व गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म।
- चीजों का धुंधला नजर आना।
नई दवाएं भी कारगर
डॉ. अकबर के अनुसार भारत में डायबिटीज की दवाएं रिसर्च के बाद तैयार होती हैं। बाजार में तमाम नई दवाएं आई हैं जो कोलेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर आदि की मॉनीटङ्क्षरग करते हुए ली जाएं तो अच्छा रिजल्ट दे रही हैं। डायबिटीज-टू के मरीजों पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की बीजेआर-34 नामक दवा बेहद कारगर साबित हो रही है। एम्रिल के भी अच्छे रिजल्ट आए हैं। सरकार की पहल से ये दवाएं तीन से पांच रुपये में उपलब्ध हैं। हां, बाजार में ऐसी भी दवाएं हैं, जो ठीक नहीं। ऐसे में जो भी दवा शुरू करें अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
बढ़ रहा अंधता का खतरा
जेएन मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग के डॉ. अब्दुल वारिश का कहना है कि वल्र्ड में सर्वाधिक डायबिटीज के रोगी हैं। चिंता की बात ये है कि रेटिनोपैथी (शुगर का आंख पर असर) के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। यदि हमारे यहां 60-70 मरीज अंधता संबंधी समस्या लेकर आते हैं तो 20 मरीज रेटिनोपैथी के निकलते हैं। शुगर से आंख में ब्लीडिंग तक हो सकती है। यदि मरीज एनीमिया से ग्र्रस्त है तो और भी ज्यादा चिंता की बात हैं। मरीज सही समय पर स्क्रीनिंग और उपचार शुरू कर दे तो बीमारी रुक जाती है।