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अंधेरे में हैं शहर से सटे अधिकतर गांव, जानिए क्या है वजह Aligarh News

शहर से सटे अधिकतर गांवों दिन ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। ये 19 गांवाें वे हैं जिन्हें नगर निगम की सीमा में शामिल किया गया है। यहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने व विकास कार्यों की जिम्मेदारी अब नगर निगम की है

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 11:44 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 11:44 AM (IST)
शहर से सटे अधिकतर गांवों दिन ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। शहर से सटे अधिकतर गांवों दिन ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। ये 19 गांवाें वे हैं जिन्हें नगर निगम की सीमा में शामिल किया गया है। यहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने व विकास कार्यों की जिम्मेदारी अब नगर निगम की है, जिसे वह पूरी तरह नहीं निभा पा रहा। निगम की भी अपनी मजबूरियां हैं ग्राम पंचायतों के खाते बंद होने के बाद बजट वापस हाे गया। निगम को ग्राम पंचायतों से कुछ नहीं मिला। निगम का अपना बजट इतना कम है कि नए क्षेत्रों का विकास कराने में अधिकारी अभी कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहे। यही वजह है कि इनमें से अधिकतर गांवों में स्ट्रीट लाइट तक नहीं लगी। जो मरकरी, हाईमास्ट लाइट लगी थीं, वे खराब हो चुकी हैं। रात के वक्त इन गांवों की सड़कों से होकर गुजरना मुश्किलों भरा है।

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रोशनी के लिए ग्रामीण लगा रहे उम्‍मीद

शहरी क्षेत्र में एलईडी (स्ट्रीट लाइट) लगाने का ठेका ईईएसएल कंपनी पर है। शहर में 19 गांवों शामिल होने के बाद यहां भी स्ट्रीट लाइट लगाई जानी हैं। इनकी मांग भी हो रही है। लेकिन एलईडी के लिए नया टेंडर हुआ नहीं है। कुछ गांवों में बची हुई एलईडी लगा दी गईं। बाकी गांवों में ग्रामीण अभी उम्मीद लगाए बैठे हैं। इससे ज्यादा अफसोस की बात और क्या होगी कि एशिया का सबसे शिक्षित गांव धौर्रा भी इन्हीं गांव में एक है। यहां भी स्ट्रीट लाइट नहीं लग सकी हैं। उधर, नगला मंदिर, सराय हरनारायण, एलमपुर, मंजूरगढ़ी आदि गांवों भी सुविधाओं से अछूते हैं। यहां सड़क, सफाई को लेकर ग्रामीण आए दिन शिकायतें करते हैं। पेयजल की समस्या भी बनी हुई है। कुछ गांवों में पाइप लाइन तो बिछा दी गईं, लेकिन सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। ओवरेहैड टैंक बनाने की योजना भी परवान नहीं चढ़ पा रही है। सहायक नगर आयुक्त राजबहादुर सिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत का बजट निगम को मिल नहीं सका, निगम पर अपना कोई अतिरिक्त बजट नहीं है। बजट मिलने पर ही गांवों में विकास कार्य हो सकेंगे। कुछ गांवों में काम कराया गया है।


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