राजफाशः एक ऐसा पूर्व सभासद जो निकला छह हत्याकांड का मास्टरमाइंड
दंपती और तीन साधुओं समेत अलीगढ़ में छह लोगों की हत्याओं से पर्दा उठाकर पुलिस ने बड़ी साजिश का राजफाश किया है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। राजस्थान के राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के रिश्तेदार दंपती व तीन साधुओं समेत अलीगढ़ में हुईं छह लोगों की हत्याओं से पर्दा उठाकर पुलिस ने बड़ी साजिश का राजफाश किया है। पुलिस के हाथ लगे गैंग का टार्गेट सिर्फ साधु ही थे, दंपती समेत तीन लोग बेवजह मारे गए। इन हत्याओं का मास्टरमाइंड एटा का पूर्व सभासद निकला, जिसने अपने मुकदमे के गवाहों को फंसाने के लिए सिलसिलेवार हत्याएं कीं। पूर्व सभासद समेत पांच लोग मुठभेड़ में गिरफ्तार हुए हैं, तीन फरार हैं।
पुलिस ने एटा के किदवई नगर निवासी पूर्व सभाषद साबिर उर्फ दिनेश प्रताप सिंह जाटव, सलमान निवासी शिवपुरी छर्रा हाल निवासी मुहल्ला भैंसपाड़ा अतरौली, इरफान निवासी नगला सारंगपुर थाना पहासू बुलंदशहर हाल निवासी मुहल्ला गढ़ी अतरौली, यासीन निवासी ब्रह्मनपुरी अतरौली व साबिर के बेटे नदीम को गांव बड़ौल से मंगलवार को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया, जिनसे चार देसी पिस्टल जब्त की गई हैं। इसके साथी मुस्तकीम, नौशाद निवासी शिवपुरी हाल निवासी अतरौली, अफसर निवासी छट्या उझानी बदायूं फरार हो गए, जिन पर 25-25 हजार का इनाम घोषित किया गया है।
ऐसे गैंग तक पहुंची पुलिस : हरदुआगंज के दुरैनी आश्रम में 14 सितंबर की रात हुई साधु रूपदास और आश्रम के पास सफेदपुरा के योगेंद्र सिंह व उनकी पत्नी विमलेश देवी की हत्या की छानबीन में पुलिस टीम पिछले तीन दिन से देहात क्षेत्र में डेरा डाले थीं। मंगलवार को एसएसपी अजय साहनी ने पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठा दिया। उन्होंने बताया कि तिहरे हत्याकांड के अलावा 12 अगस्त की रात पालीमुकीमपुर के शिव मंदिर रूपवास में साधु कासिमपुर खुशीपुरा निवासी कालीदास (75), नगला रोशन निवासी किसान सोमपाल (49) की हत्या व 26 अगस्त की रात अतरौली के बहरावद के जंगल में हुई मंटूरी सिंह की हत्या में कुछ समानताएं मिलीं। मृतकों के पास मिलीं पर्चियों में एटा के कुछ लोगों के नाम और मोबाइल नंबर थे। इन लोगों ने बताया कि दो अप्रैल- 16 को एटा के किदवई नगर मदरसे के मौलाना शहजाद मूल निवासी बिहार की हत्या हुई थी। इसमें किदवई नगर का ही पूर्व सभासद साबिर उर्फ दिनेश प्रताप सिंह जाटव नामजद है। यह केस गवाही पर चल रहा है। गवाह दबाव में नहीं आए तो साबिर उन्हें फंसाने की साजिश रच रहा है। इसके बाद पुलिस साबिर की तलाश में जुट गई।
हत्या कर जेब में रखते गवाहों के नाम की पर्ची : मंगलवार को हुई मुठभेड़ में साबिर व उसके साथी को पुलिस ने दबोच लिए। साबिर से बताया कि जमीन के विवाद में मुफ्ती की हत्या हुई थी। इसमें एटा के ही हाजी केसर, जान मुहम्मद, फिरोज उर्फ काले नेता गवाह थे। इन्हें फंसाने के लिए बाबरिया गिरोह की मदद से साधुओं की हत्याएं करा रहा था। क्योंकि, योगी सरकार में साधुओं के प्रति पुलिस संवेदनशील है। नेता भी सक्रिय होते हैं। अलीगढ़ पुलिस तत्काल कार्रवाई करती है, इसलिए इस जिले को चुना। गवाहों के नाम, मोबाइल नंबर पर्चियों पर लिखकर मृतकों की जेब, पर्स में रख देते थे। लूटे गए मोबाइल से गवाहों के पास फोन करते, जिससे नंबर ट्रेस होने पर पुलिस गवाहों को गिरफ्तार कर ले।
इनसर्ट-
पहचान छिपाने के लिए
की दंपती की थी हत्या
हरदुआगंज में दंपती की हत्या पहचान छिपाने के लिए की गई। इसके बाद ये लोग अतरौली में भी एक साधु को मारने जा रहे थे। आश्रम खाली मिला तो रास्ते में मिले किसान मुकंदी की हत्या कर दी।
हिट लिस्ट में थे पांच और साधु
एसएसपी ने बताया कि पांच और साधु इनकी हिट लिस्ट में थे। पुलिस ने उन्हें पहले ही आश्रम से हटा दिया था। उन्हें थानों में सुलाया जाता था। इनका मकसद था कि हत्याएं कर योगी सरकार को बदनाम किया जाए, जिससे पुलिस आनन फानन कार्रवाई करे। गिरफ्तार कुछ अभियुक्त गैर जिलों के हैं, जो चार माह से अलीगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर किराये पर रह रहे हैं।
पुलिस को 1.25 लाख इनाम : पुलिस टीम को 1.25 लाख के इनाम की घोषणा हुई है। पुलिस टीम को डीजीपी ने 50 हजार, एडीजी आगरा जोन ने 30 हजार, डीआइजी ने 25 हजार व एसएसपी ने 20 हजार के इनाम की घोषणा की है।