यारा तेरी यारी को मैंने तो खुदा जाना..गीतकार नीरज जी ने दी ईद की मुबारकबाद
अलीगढ़ : गंगा जमुनी तहजीब के लिए नामचीन अलीगढ़ में शनिवार को फिजा में ईद की मिठास घुली रही। सेवइयां
अलीगढ़ : गंगा जमुनी तहजीब के लिए नामचीन अलीगढ़ में शनिवार को फिजा में ईद की मिठास घुली रही। सेवइयां खिलाकर रिश्तों की डोर और मजबूत की गई। सालों पुराने दोस्तों की मुलाकात ने सेवइयों की मिठास को कई गुना बढ़ा दिया। जब महाकवि गोपालदास नीरज अपने तीन दशक से भी ज्यादा पुराने दोस्त फारुख कुरैशी से ईद मिलने उनके घर पहुंचे। शहर के ऊपरकोट स्थित फारुख के घर ईद की खुशियां यकायक तब बड़ गर्ई जब कमजोर पैरों से दिल में दोस्ती के मजबूत इरादे लेकर महाकवि उनके घर में दाखिल हुए। खास मौके पर पुराने दोस्त के घर में आने पर फारुख की आंखें चमक उठीं। साथ मौजूद लोगों की मदद से महाकवि ने व्हीलचेयर से उठकर दोस्त को गले लगा लिया। फारुख की आंखें डबडबा गई। सफेद कुर्ते के साथ काली जैकेट पहने महाकवि बेहद खुश नजर आए।
उम्र अधिक होने और व्हीलचेयर से गिरने की वजह से महाकवि गीतकार गोपालदास नीरज जी की तबियत कुछ नासाज चल रही थी। इसके चलते उन्होंने घर से बाहर आना-जाना बंद कर दिया था, मगर ईद के मौके पर गीतकार नीरज जी शहर के ऊपरकोट पर मौजूद अपने तीस साल पुराने मित्र फारुख कुरैशी से उनके आवास पर अचानक ईद मिलने पहुंच गए और कहा ऐ दोस्त तुझे ईद मुबारक। नीरज जी आत्मीयता भरे अंदाज में अपने सखा से ऐसे गले मिले कि सब देखते रह गए। वहां मौजूद लोग यही कहते रहे कि इन दोनों की मित्रता समाज के लिए सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। समाज के लोगों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
बताते चलें कि शहर के बारहद्वारी पर चारपाई और सीढ़ी बनाने का व्यवसाई फारुख कुरैशी का काफी पुराना काम है। पहले छोटा काम था, लेकिन अब बढ़े स्तर पर है। व्यवसाई फारुख कुरैशी का नीरज जी का काफी पुराना याराना है। ज्यादातर बड़े त्योहार की खुशियां दोनों मिलकर आपस में बांटते हैं। इससे पहले महाकवि रक्षाबंधन पर अपने दोस्त फारुख कुरैशी से मिले थे।