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अलीगढ़ में 32 वायल कम मिलीं, स्टाफ नर्स की संविदा समाप्त

अलीगढ़ की वैक्सीन नोएडा में लगने का सनसनीखेज मामला सीएमओ ने दो सदस्यीय टीम से कराई जांच अज्ञात के खिलाफ मुकदमा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 01:32 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 01:32 AM (IST)
अलीगढ़ में 32 वायल कम मिलीं, स्टाफ नर्स की संविदा समाप्त
अलीगढ़ में 32 वायल कम मिलीं, स्टाफ नर्स की संविदा समाप्त

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : नोएडा में अलीगढ़ की वैक्सीन लगाए जाने के मामले में जांच के दौरान नौरंगाबाद अर्बन पीएचसी पर वैक्सीन की उपलब्धता व रजिस्ट्रेशन संबंधी अभिलेखों में धांधली मिली है। 32 वायल कम मिलीं। वैक्सीन का रख-रखाव करने वाली स्टाफ नर्स पुष्पा की संविदा समाप्त कर दी गई है। शिथिल पर्यवेक्षण का दोषी मानते हुए प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. रमैय्या पिल्लई का ट्रांसफर किया गया है। यह कार्रवाई सीएमओ ने दो सदस्यीय टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर की है। इसमें स्पष्ट नहीं हो पाया कि यहां से वैक्सीन नोएडा भेजी गईं या नहीं? केवल उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी शरद गुप्ता ने अज्ञात के खिलाफ वैक्सीन गायब होने का मुकदमा दर्ज कराया है। सीएमओ ने दुरुपयोग में आई वैक्सीन की वायल्स का आकलन कर निर्धारित धनराशि वसूलने के निर्देश भी दिए हैं। शासन को भी रिपोर्ट भेज दी है।

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ये है मामला : नोएडा की जेपी ग्रींस सोसाइटी में 21 व 29 मई को कैंप आयोजित कर 187 लोगों को मुफ्त टीके लगाए गए, जबकि स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने आयोजकों को वैक्सीन उपलब्ध कराई थीं और अनुमति भी। टीका लगवाने वाले कुछ लोगों ने सर्टिफिकेट पर केंद्र का नाम अलीगढ़ की नौरंगाबाद अर्बन पीएचसी अंकित होने की स्थानीय प्रशासन से शिकायत की। नोएडा में जांच तेजी से हुई। आयोजक शुभ गौतम समेत छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। नोएडा पुलिस, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि नौरंगाबाद पीएचसी को आवंटित वैक्सीन जेपी ग्रींस सोसाइटी तक कैसे पहुंच गईं? मामले की गूंज शासन तक पहुंची तो अलीगढ़ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब हुआ। आनन-फानन दो एसीएमओ की जांच समिति बनाई गई। सोमवार को समिति ने रिपोर्ट सीएमओ को सौंप दी।

जांच में नहीं खुल पाए राज

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनुपम भास्कर व एसीएमओ डा. एसपी सिंह ने सीएमओ को सौंपी रिपोर्ट में है कि नौरंगाबाद पीएचसी को शुरुआत से अब तक 579 वायल्स दी गईं, जबकि 547 खाली वायल्स ही मिली हैं। 32 वाइल्स कम पाई गईं, जो संदेहास्पद है। गैर एनालिसिस का प्रमाण नहीं मिला। पूछताछ में वायल्स टूटने व कुछ कूड़ेदान में फेंकने की जानकारी दी गई, मगर इसका प्रमाण नहीं मिला। कोविन पोर्टल लिस्ट के अनुसार वैक्सीन की खपत सही है। भौतिक रजिस्टर अपूर्ण है। जांच रिपोर्ट से स्पष्ट नहीं हो पाया कि वायल्स बाहर ले जाकर लगाई गईं अथवा नहीं। यह बात खुद डा. बीपीएस कल्याणी ने अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण) को भेजे पत्र में स्वीकार की है।

ये की गई कार्रवाई

सीएमओ ने अपर मुख्य सचिव को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि स्टाफ नर्स पुष्पा देवी ने वैक्सीन व रजिस्ट्रेशन संबंधी अभिलेख के रखरखाव में लापरवाही बरती है। इसलिए वे प्रकरण में आंशिक दोषी हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. रमैय्या पिल्लई ने शिथिल पर्यवेक्षण किया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर स्टाफ नर्स पुष्पा देवी की सेवा समाप्त की गई है। डा. पिल्लई को नौरंगाबाद पीएचसी से तबादला कर दिया है। अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज हो गई है।

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काश, इन सवालों के जवाब भी मिल जाते

स्वास्थ्य विभाग ने भले ही इस मामले की जांच पूरी कर स्टाफ नर्स व प्रभारी चिकित्साधिकारी पर कार्रवाई कर दी हो, मगर कुछ सवालों के जवाब अधूरे हैं। अलीगढ़ की वैक्सीन नोएडा कैसे पहुंच गई? यदि नहीं पहुंची तो सर्टिफिकेट पर नौरंगाबाद पीएचसी का नाम कैसे दर्ज हुआ? क्या नोएडा में वैक्सीनेशन करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों ने नौरंगाबाद पीएचसी की आइडी-पासवर्ड का इस्तेमाल किया? कैंप वाली तिथियों में नौरंगाबाद पीएचसी के खाते में कोविन पार्टल पर टीका लगवाने वाले नोएडा के कितने लोगों की डिटेल दर्ज है? इन सवालों के जवाब मिल जाते तो मामले की असलियत सामने आ जाती।


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