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भाषा में मानसिकता, व्यक्तित्व और झलकनी चाहिए गंभीरता

मंगलायतन विश्वविद्यालय में शुक्रवार को कई विभागों द्वारा अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 11:46 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 11:46 PM (IST)
भाषा में मानसिकता, व्यक्तित्व और झलकनी चाहिए गंभीरता

अलीगढ़ : मंगलायतन विश्वविद्यालय में शुक्रवार को कई विभागों द्वारा अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। आइईआर द्वारा छात्रों के लिए आयोजित कैपेसिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम में प्रभावी समय प्रबंधन पर चर्चा की गई। डा. संजय पाल ने समय प्रबंधन की आवश्यकता के महत्व को बताया। द्वितीय सत्र में डा. वाईपी गौर ने समय प्रबंधन की युक्तियों की व्याख्या की। रामकुमार पाठक ने कहा कि उचित समय प्रबंधन से ही व्यक्ति सफल होता है। संचालन डा. दीपशिखा सक्सेना ने किया। कार्यक्रम में डा. शिव कुमार, अनुराधा यादव, डा. कविता शर्मा, पूनम गुप्ता आदि थे।

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गणित के महत्व को समझाया

इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज द्वारा कौशल विकास कार्यक्रम हुआ। उद्घाटन भाषण के साथ शुरुआत डा. स्वाति अग्रवाल ने की। डा. मोहम्मद साकिब ने बैटरी असेंबलिग कोर्स पर अपनी बात रखी। डा. हीरा फातिमा ने बैटरी में गणित के महत्व को समझाया। डा. वेदनाथ झा ने स्पि्लसिग ऑफ फाइबर पर विचार रखे। इस दौरान प्रभात बंसल, डॉ. हरीश सारस्वत, राजेश उपाध्याय आदि मौजूद थे।

स्क्रिप्ट लेखन पर कार्यशाला

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा स्क्रिप्ट लेखन विषय पर कार्यशाला हुई। विभागाध्यक्ष मनीषा उपाध्याय ने कहा कि यदि आपको लिखने का शौक है और सोच दूरगामी है तो स्क्रिप्ट राइटिग को करियर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि दर्शकों को एक अच्छी स्टोरी की खोज रहती है। यह तभी संभव है जब हम उस स्टोरी पर उसकी नींव से कार्य करें और उसके पहलुओं को बारीकी से समझें। उन्होंने कहा कि भाषा में मानसिकता, व्यक्तित्व और गंभीरता झलकनी चाहिए। अध्यक्षता डीन प्रो. शिवाजी सरकार ने की। इस दौरान मयंक जैन आदि थे।

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शोध कार्य में नीति शास्त्र का है महत्व

शोध कार्य हो या जीवन का अन्य क्षेत्र नीति शास्त्र के बिना संभव नहीं है। आचार-विचार ही मनुष्य के कार्य और मानवीय समस्याओं का समाधान करते हैं। यह बातें मंविवि के सेंटर फॉर फिलोस्फिकल साइंसेज के डायरेक्टर प्रो. जयंतीलाल जैन एथिक्स इन रिसर्च विषय पर आयोजित कार्यशाला में कहीं। उन्होंने कहा कि रिसर्च करते समय बौद्धिक संपदा के अधिकारों का पूर्णत: पालन करना चाहिए। शोध कार्य में नीति शास्त्र का विशेष महत्व है। प्रो. आरके शर्मा व कृषि विभाग के अध्यक्ष डा. सईद अहमद दानिश नकवी ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम निदेशक डा. वाईपी सिंह रहे। समन्वयन डा. अनुराग शाक्य का रहा। इस दौरान प्रो. गुरुदास उल्लास, प्रो. असगर अली अंसारी, डा. राजीव शर्मा, डा. सौरभ कुमार, डा. सिद्धार्थ जैन, डा. अशोक उपाध्याय, डा. पूनम रानी, डा. आरके घोष, मोहन माहेश्वरी आदि मौजूद थे।


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