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एएमयू छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी उतारेंगे कश्मीरी छात्र, ऐसे बनी रणनीति

कश्मीर में आतंकी मन्नान बशीर वानी के मारे जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी उतारेंगे कश्मीरी छात्र।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 09:10 AM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 09:10 AM (IST)
एएमयू छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी उतारेंगे कश्मीरी छात्र, ऐसे बनी रणनीति
एएमयू छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी उतारेंगे कश्मीरी छात्र, ऐसे बनी रणनीति

अलीगढ़ (जेएनएन)। कश्मीर में आतंकी मन्नान बशीर वानी के मारे जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जनाजे की नमाज पढ़ने की कोशिश के चलते सुर्खियों में आए कश्मीरी छात्र अब सबकुछ भुला देना चाहते हैं। उनकी नजर नवंबर में होने वाले छात्रसंघ चुनाव पर है। कश्मीरी छात्रों ने प्रत्याशी भी तय कर लिया है।

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950 से अधिक हैं कश्मीरी विद्यार्थी

छात्रसंघ चुनाव में कश्मीरी छात्रों का संख्या बल के आधार पर अहम रोल रहता है। इनकी संख्या करीब 950 है। एएमयू इंतजामिया ने छात्रसंघ चुनाव नवंबर के पहले सप्ताह में कराने का निर्णय लिया है। सर सैयद डे के बाद छात्र नेता तैयारियों में जुट गए हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सचिव पद के लिए कई नाम सामने आए हैं।

प्रचार भी हो गया शुरू

संभावित दावेदारों ने प्रचार भी शुरू कर दिया है। नई खबर कश्मीरी छात्रों के खेमे से आई है। एएमयू के एसएस नॉर्थ हॉल में कश्मीरी छात्रों की बैठक हुई। इसमें दमदार प्रत्याशी उतारने पर मंथन हुआ। कई छात्रों को कसौटी पर तौला गया। प्रत्याशियों के सामने सवालों की बौछार कर इस बात के लिए परखा गया कि वाकई में वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

अध्यक्ष पद के लिए शुरू की तैयारी

छात्र नेताओं के अनुसार इस कसौटी में अनंतनाग (कश्मीर) निवासी मुबस्सिर हुसैन शाह खरे उतरे हैं। मुबस्सिर एएमयू के राजनीतिक विज्ञान विभाग में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय पर पीएचडी कर रहे हैं। कश्मीरी छात्र उन्हें अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं। मुबस्सिर ने इसकी तैयारी भी शुरु कर दी है। मुबस्सिर ने बताया कि सभी को साथ लेकर चुनाव लड़ा जाएगा। छात्रों की तमाम समस्याएं हैं जिनके लेकर चलना है।

सज्जाद ने जीता था पहली बार चुनाव

एएमयू में कश्मीरी छात्रों के चुनाव लड़ने की बात करें तो पिछले साल सज्जाद सुभान रॉथर ने इतिहास रचा था। वह उपाध्यक्ष पद पर चुनाव जीतने वाले पहले कश्मीरी थे। इस जीत ने कश्मीरी छात्रों को और हौसला दिया है। मन्नान वानी के मारे जाने के बाद हुई गतिविधियों में फंसे कश्मीरी छात्रों की आवाज उन्होंने ही बुलंद की।


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