अर्जुन की पत्तियों से बढ़ा रहे फसलों की इम्युनिटी
यदि पौधे की इम्युनिटी ज्यादा होगी तो उसे बीमारी कम लगेगी। बीमारी से बचाने के साथ अब किसान ऐसा भी कीटनाशक तैयार कर प्रयोग कर रहे हैं जो फसलों की इ्म्युनिटी बढ़ा रहा है। किसान धान के अलावा आजकल इसका प्रयोग आलू की फसल में भी कर रहे हैं।
हाथरस, केसी दरगड़ः : चिकित्सा विज्ञान में कहा जाता है कि जिस मनुष्य की इम्युनिटी अच्छी होगी, उसे कोरोना या अन्य विषाणुजन्य बीमारी नहीं होगी। वैज्ञानिकों की सलाह पर किसान भी फसलों की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। पुरुषों की तरह यदि पौधे की इम्युनिटी ज्यादा होगी तो उसे बीमारी कम लगेगी। बीमारी से बचाने के साथ अब किसान ऐसा भी कीटनाशक तैयार कर प्रयोग कर रहे हैं जो फसलों की इ्म्युनिटी बढ़ा रहा है। किसान धान के अलावा आजकल इसका प्रयोग आलू की फसल में भी कर रहे हैं।
ऐसे करते हैं तैयार
अब तक जैविक कीटनाशक नीम, बकायन, काला सिरस, भांग की पत्तियां पीसकर पानी में मिलाकर तैयार किया जाता है। यह दो से ढाई महीने में बनकर तैयार हो जाता है। यह जैविक कीटनाशक अन्य कीटनाशकों की तुलना में सस्ता और मिट्टी की सेहत के लिए अच्छे होता है।
ऐसे करते हैं प्रयोग : 25 लीटर क्षमता की स्प्रे मशीन में 10 लीटर कीटनाशक में 15 लीटर पानी मिलाकर फसलों पर स्प्रे किया जाता है। धान की फसल के बाद अब आलू की फसल पर प्रयोग किया जा रहा है।
बड़े काम का है अर्जुन का पेड़
अर्जुन की छाल का प्रयोग दिल के रोगी ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए प्रयोग करते हैं। आयुर्वेद के बाजार में अर्जुनारिष्ट के नाम से काढ़ा भी उपलब्ध है। अर्जुन की छाल को सुखाकर पीसकर भी दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इसकी पत्तियों का प्रयोग पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने में किया जा रहा है। प्रगतिशील किसान युधिष्ठर सिंह का कहना है कि कीटनाशक का प्रयोग धान की फसल के बाद आलू में स्प्रे से किया जा रहा है। धान की फसल के अच्छे परिणाम सामने आए थे। उनमें बीमारियां नहीं लगी थीं। आलू की फसल चालीस दिन की हो चुकी है। फसल को कीटों के हमले के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के काम आता है। अन्य किसानों को भी इसके फायदे बता रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपलट सिंह ने बताया कि अर्जुन की पत्तियों से तैयार कीटनाशक पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। किसान इसका प्रयोग कई फसलों में कर चुके हैं और उसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। किसानों को इस तरह खुद जैविक कीटनाशक तैयार कर प्रयोग करना चाहिए। इससे मिट्टी की सेहत के साथ मनुष्य के खाने पर दुष्प्रभाव भी नहीं होंगे।