अलीगढ़ जेल में ऐसे गूंजेगा ' सलाखों के अंधेरों में उजाला बेशुमार है
अलीगढ़ जेल में एक और अनूठी पहल शुरू हो रही है। सकारात्मक ऊर्जा देने के लिए बंदियों को जेल एंथम (जागृति गान) सुनाया जाएगा।
अलीगढ़ (केसी दरगढ़)। अलीगढ़ जेल में एक और अनूठी पहल शुरू हो रही है। सकारात्मक ऊर्जा देने के लिए बंदियों को जेल एंथम (जागृति गान) सुनाया जाएगा। इससे बंदियों को जेल में रहते हुए सपने साकार करने, अच्छी राह अपनाने और रचनात्मक कार्यों से जुडऩे के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस गान की लॉचिंग मंगलवार को जेल में होगी। इसके बाद हर रोज इस गीत से कैदियों की दिनचर्या शुरू हुआ करेगी।
कैदी ईश्वर से करता है प्रार्थना
ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता एटा निवासी प्रदीप रघुनंदन के प्रयासों से संभव हो सका। उन्होंने बताया कि गीत-संगीत सीरिज 15 मिनट की है, जिसमें सात मिनट का गीत व आठ मिनट के दृश्य हैं। फिलहाल गीत सुनाया जाएगा। गीत में कैदी ' ईश्वर से रब्बा, रब्बा, कहकर ' प्रार्थना करता है। भगत सिंह व गांधी का उदाहरण देता है। दृश्य दिखाने के लिए उच्च अधिकारियों से स्वीकृति ली जा रही है।
आयुष सक्सेना ने दी आवाज
जागृति गान शहर के स्वर्ण जयंती नगर निवासी आयुष सक्सेना ने लिखा है। उन्होंने ही गाया है। जेल के बंदियों ने भी गायन व कोरस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आयुष फिलहाल मुंबई में रहते हैं। उनके कई संगीत एलबम आ चुके हैं।
प्रदेश की सभी जेलों में करेंगे प्रयास
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप रघुनंदन 12 साल से उत्तर प्रदेश की जेलों में विभिन्न सुधारात्मक अभियान चला रहे हैं। दो साल से रचनात्मक लेखन अभियान भी चलाया जा रहा है। कविता, कहानी, गीत, निबंध आदि विधाओं में सैकड़ों बंदियों के संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जागृति गान प्रदेश की सभी जेलों में हो, इसके लिए कारागार विभाग से अनुमति मांगी गई है। इस संगीत सीरिज से बंदियों की मानसिक ऊर्जा बढ़ाने और निराशा व अवसाद से उबारने का प्रयास है।
अनूठी पहल
वरिष्ठ जेल अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि जागृति गान जेल में सुनाया जाएगा। यह अपने आप में अनूठी पहल है। संगीत व्यक्ति में सकारात्मक स्फू र्ति का संचार करता है, जो व्यक्ति को अपने बनाए लक्ष्यों की ओर अग्रसर करता है। संगीत से निराशा व मनोविकार दूर होते हैं और व्यक्ति जीवन के आदर्श पथ पर बढ़ता है।