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अलीगढ़ में पशुओं के नियमित टीकाकरण पर लगा ब्रेक, पशुपालक परेशान, विस्‍तार से जानिए वजह

अकराबाद क्षेत्र के राम सिंह के पास तीन गाय व दो भैंस हैं। पिछले दिनों एक भैंस की तबीयत बिगड़ गई। दो तीन दिन बाद भैंस से दूध देना बंद कर दिया। कुछ दिन बाद अन्य पशु भी बीमारी की चपेट में आ गए।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 11:55 AM (IST)
अलीगढ़ में पशुओं के नियमित टीकाकरण पर लगा ब्रेक, पशुपालक परेशान, विस्‍तार से जानिए वजह
पशु भी बीमारी की चपेट में आ गए हैं। चिकित्सक को दिखाया तो मुुंहपका बीमारी बताई।

अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। अकराबाद क्षेत्र के राम सिंह के पास तीन गाय व दो भैंस हैं। पिछले दिनों एक भैंस की तबीयत बिगड़ गई। दो तीन दिन बाद भैंस से दूध देना बंद कर दिया। कुछ दिन बाद अन्य पशु भी बीमारी की चपेट में आ गए। चिकित्सक को दिखाया तो मुुंहपका बीमारी बताई। इन पशुुओं के इलाज में कई हजार रुपये खर्च हो गए। फिर भी पशु तक पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। अलीगढ़ समेत सूबेभर में राम सिंह जैसे लाखों लोग हैंं, जिनके पशु नियमित टीकाकरण न होने से खुरपका-मुंहपका की चपेट में आ गए हैं। कोरोना संक्रमण के फेर में पूरे प्रदेश में 10 माह से टीकाकरण नहीं हुआ है। जबकि, हर छह माह में टीकाकरण का नियम है।

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यह है नियम

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के तहत पशुओं को खुरपका-मुंहपका बीमारी बचाने के लिए टीकाकरण होता है। हर छह महीने में टीकाकरण कराने का नियम हैं। पिछले साल नवंबर दिसंबर में अलीगढ़ समेत पूरे प्रदेश में टीकाकरण हुआ था। जिले में 12.54 लाख गाय-भैंस को टीका लगा था। इसके बाद अप्रैल-मई में दोबारा टीकाकरण होना चाहिए था, लेकिन अब तक नहीं हुआ है।

कोरोना में फंसा : पशुपालन विभाग के अफसरों के मुताबिक हर साल अप्रैल-मई व अक्टूबर-नवंबर में टीकाकरण होता है। इससे मौसम में बदलाव होने से पहले ही पशु रोगों से लडऩे के लिए तैयार हो जाते हैं। इस साल भी अप्रैल-मई में टीकाकरण की तैयारी थी, लेकिन कोरोना के चलते पूरे प्रदेश में कहीं टीका नहीं पहुंचे। अब तक कहीं भी टीकाकरण नहीं हुआ है।

खुरपका-मुंहपका रोग के लक्षण

- पशु के मुंह से अत्यधिक लार का टपकना।

- जीभ व तलवे पर छालों का उभरना व जीभ का बाहर आ जाना।

- पशु का जुगाली करना बंद कर देना।

-पशु का लंगड़ा कर चलना। दूध उत्पादन में कमी आ जाना।

-बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने पर मृत्यु हो जाना।

ऐसे करें बचाव

- रोग का पता लगने पर पशु को अन्य पशुओं से तुरंत दूर किया जाए।

- दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ व मुंह साबुन से धोना चाहिए।

- प्रभावित क्षेत्र को पोटाश के घोल को पानी में मिलाकर धोना चाहिए।

- पशु के ठीक होने के एक सप्ताह बाद ही उसे दूसरे पशुओं के पास लाना चाहिए।

- पशु की तबीयत खराब होने पर चिकित्सक से संपर्क किया जाए।

कोरोना के चलते टीकाकरण में देरी हुई है। प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। पूरे प्रदेश में अक्टूबर से टीकाकरण होने की संभावना है।

डा. रमेश चंद्र, प्रभारी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी


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