अलीगढ़ में सीटी बजाकर पानी की बर्बादी रोक रहे सुशील
टंकी भरने पर सीटी बजाते हैं सुशील वाष्र्णेय।
अलीगढ़ : जल ही जीवन है। इसे यूं ही बर्बाद नहीं किया जाए। बूंद-बूंद अनमोल है। शहर में बढ़ते सबमर्सिबल पंप से जल दोहन बढ़ रहा है। तेजी के साथ भूजल स्तर गिर रहा है। आठ साल पहले जल के स्रोत 90 से 120 फीट पर मिलता था। जिस क्षेत्र में ये सबमर्सिबल थे, उस क्षेत्र में रीबोर हो रहा है। अब शहरी क्षेत्र में 220 से 290 फीट तक का बो¨रग कराया जा रहा है। अधिकांश लोग सबमर्सिबल चलाकर भूल जाते हैं। छत पर रखी पानी की टंकी ओवरफ्लो हो जाती है। पानी बर्बाद होता रहता है। जीटी रोड नौरंगाबाद क्षेत्र के मुहल्ला बड़ा दरवाजा निवासी सुशील वाष्र्णेय ने पेयजल की बर्बादी रोकने की अलख जगाने की ठानी है। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने ही क्षेत्र से की। टंकी भर जाने पर पानी बर्बाद होता है तो सीटी बजाकर उस घर के सदस्यों को सचेत करते हैं।
एक दशक से शहर में सबमर्सिबल पंपों की संख्या में बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है। इनसे पानी का इस्तेमाल कम दोहन ज्यादा हो रहा है। लोग सबमर्सिबल चलाकर भूल जाते और छत पर रखी टंकी भर जाती है। पानी फैलता रहता है। बहते पानी का महत्व या तो हैंडपंप का प्रयोग करने वाले जानते हैं या नगर निगम की सप्लाई न आने पर बूंद-बूंद पानी को तरसने वाले।
सुशील वाष्र्णेय ऊर्फ नंगालाल के घर में न तो सबमर्सिबल है न हैंडपंप। वे कहते हैं कि उनके आसपास 20 सबमर्सिबल हैं। लोग उन्हें चलाकर भूल जाते थे। वे आवाज लगाकर बंद कराते थे तो लोगों को बुरा लगता था। कई तो मरने-मारने पर उतारू हो जाते। इसके बाद उन्होंने इस आदत को नहीं छोड़ा। सीटी बजाकर उन्हें सचेत करना शुरू कर दिया। अब लोग सबमर्सिबल चलता है, तब तक खड़े हो जाते हैं। सुशील आंकड़ा गिनाते हैं कि 1000 लीटर की टंकी छह से सात मिनट में भर जाती है। अगर जरा सी चूक हो जाए तो पांच से 10 हजार लीटर तक पानी बह जाता है। वे कहते हैं कि जागरूकता से ही जल को बचाया जा सकता है।