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अलीगढ़ में किसानों का सड़क पर फूटा गुस्सा, गायों के अस्पताल व चौकी पर पथराव

स्कूलों में बंद आवारा पशुओं को टुकसान स्थित बालाजी अस्पताल के पास छोडऩे से गुस्साए किसानों ने हंगामा कर दिया। इस दौरान अस्पताल पर पथराव किया गया।

By Edited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 01:00 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 09:22 AM (IST)
अलीगढ़ में किसानों का सड़क पर फूटा गुस्सा, गायों के अस्पताल व चौकी पर पथराव

अलीगढ़ (जेएनएन)। स्कूलों में बंद आवारा पशुओं को टुकसान स्थित बालाजी अस्पताल के पास छोडऩे से गुस्साए किसानों ने हंगामा कर दिया। इस दौरान अस्पताल पर पथराव किया गया। चौकीदार से मारपीट की तथा परिसर में तोडफ़ोड़ भी की गई। सादाबाद के एदलपुर के प्राथमिक विद्यालय से पशुओं को ट्रकों में लादकर प्रशासनिक अधिकारी गो शाला लाए थे। अस्पताल में जगह न होने पर पशुओं को भी की खाली जमीन पर छोड़ दिया गया था। रात में ये मवेशी गांव टुकसान, संगीला के खेतों में पहुंच गए और किसानों की फसलें खराब कर दीं। मंगलवार को सादाबाद के कजरौठी, सहपऊ के गांव खोंड़ा के विद्यालय से पशुओं को  गो अस्पताल लाया गया। इसकी  जानकारी पर सैकड़ों ग्रामीण जमा हो गए और हंगामा करते हुए पशुओं को ट्रक से उतारने नहीं दिया गया। बाद में पशुओं को  बरसाना (मथुरा) भेजा गया।

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किसानों में बढ़ा गुस्‍सा
आवारा पशुओं को लेकर किसानों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार को इगलास तहसील क्षेत्र के लगभग दर्जनभर से अधिक प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में फसलों को तहस-नहस कर रहे गोवंशों को किसानों ने बंद कर दिया है। स्कूल खुलने से पहले ही किसानों ने पशुओं को स्कूलों में बंद करना शुरू कर दिया। जिन स्कूलों में पशुओं को बंद करने का रास्ता नहीं दिखा स्कूल खुलते ही किसान पशुओं को लेकर पहुंच गए। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए विद्यालयों की छुट्टी कर दी गई। गांव इगलास क्षेत्र के गांव मोहकमपुर में किसानों ने अलीगढ़ - मथुरा पर जाम लगा दिया। खास बात यह है कि इगलास गोरई क्षेत्र के पीएचसी में बांधे गए 900 पशुओं को टप्पल यमुना एक्सप्रेस के नजदीक इंटरचेंज पर छोड़ दिया गया था, इनमें से 47 की मौत हो गई। जिन्हें दफना दिया गया है।

पीएचसी में बांधे गए थे 900 पशु
इगलास व गोरई क्षेत्र में आवारा पशुओं से त्रस्त किसानों का गुस्सा आज भी कम न था। इगलास तहसील के कस्बा गोरई के किसानों ने खेतों से घेर कर करीब 900 आवारा पशुओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बंद कर दिया। इतनी बड़ी संख्या में पशुओं को लाए जाने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। भय के चलते पूरे दिन लोग घरों से नहीं निकले। यही हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में स्थित दो आवासों में रह रहे कर्मचारियों के परिजनों का रहा। सूचना पर पहुंचे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों तक की किसानों ने एक न सुनी। वे गांव से बाहर पशुओं को भेजने की जिद पर अड़े रहे।

दस घंटे बाद लिया निर्णय
करीब 10 घंटे बाद शाम छह बजे पशुओं को टप्पल गोशाला भेजने के लिए ट्रकों में भरना शुरू किया गया था। मांट रोड पर आबादी क्षेत्र में स्थित इस पीएचसी में आवारा पशुओं को अंदर करना शुरू किया गया। दोपहर तक किसान पशुओं के झुंड लेकर आए। कई किसान तो ट्रैक्टर -ट्रॉली व बुग्गियों में भरकर लाए। इसके बाद गेट पर ताला लगाकर किसानों ने डेरा डाल दिया। सूचना पर तहसीलदार मनीष कुमार, नायब तहसीलदार नरेंद्र यादव, कोतवाल अजय सिंह चाहर पहुंच गए। इनके समझाने पर भी किसान नहीं माने।

चारागाह जमीन पर गोशाला का दिया सुझाव, प्रशासन ने की निशानदेही
दोपहर तक प्रशासनिक अधिकारी कोई रास्ता नहीं निकाल पा रहे थे। किसानों से ही निदान जानने के लिए दोपहर में पीएचसी के सामने स्थित क्षेत्रिय सहकारी समिति पर बैठक बुलाई गई। इसमें प्रमुख किसानों के अलावा आसपास की कई गांवों के प्रधान भी शामिल हुए। एसडीएम अशोक कुमार, सीओ तेजवीर सिंह, सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल और बीडीओ मनीष वर्मा ने कोई व्यवस्था होने तक पीएचसी से पशुओं को हटाने का दवाब डाला, लेकिन किसान राजी नहीं हुए। उन्होंने हरजीका बांस गांव की नौ बीघा चारागाह की जमीन पर अवैध कब्जे हटवाकर गोशाला बनवाने का सुझाव दिया। इस जमीन पर देर शाम अधिकारियों ने निशानदेही कराई गई।

बाहर शोर, अंदर भय 
सुबह आठ बजे अचानक शोर होने लगा। फिर, पीएचसी में पशुओं की संख्या बढऩे लगी। फार्मासिस्ट प्रशांत माल्यान एक बार तो कुछ समझ नहीं पाए। अंदर रहने वाले कर्मचारियों ने जब सांड़ देखे तो परिवार की सुरक्षा के लिए दरवाजे बंद करना ही उचित समझा। उन्होंने बताया कि पीएचसी में पशुओं ने पानी की टंकी क्षतिग्र्रस्त कर दी। अनेक पौधे नष्ट कर दिए। इस बीच कई गायों को भी  चोटें भी आईं हैं।  पीएचसी के बाहर भी भय कम न था। लोग सहमे हुए थे। सुरक्षा के चलते बच्चों को घरों से नहीं निकलने  दिया गया। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी  वाजपेयी की जयंती के चलते पीएचसी में दो घंटे ओपीडी होनी थी, लेकिन पशुओं को चलते ऐसा नहीं हो सका।

समस्या का नहीं हो रहा समाधान
प्रधान कमलेश देवी  के पति राजकुमार सिंह ने बताया कि आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हर गांव की यह दिक्कत है। इसकी शिकायत अधिकारियों से कई बार की जा चुकी है। समस्या का निदान नहीं हो रहा। किसान करे भी क्या? चारगाह की जमीन खाली कराकर गोशाला की व्यवस्था कराई जा सकती है। गांव पचहरा के किसान विनोद शर्मा का कहना है कि जब कहीं से राहत न मिली तो खुद निर्णय लिया है। हमारी छह बीघा  आलू और आठ बीघा गेहूं की फसल नष्ट हो चुकी है। कुछ बची है, जिसकी देखरेख के लिए रातभर खेत पर जागना पड़ रहा है। गोरई के राजेश चौधरी का कहना है कि हाड़कंपा देने वाली ठंड में कोई खुले में रात बिताकर देखे। किसान ऐसा कर रहे हैं। पशुओं से फसल बचाना मुश्किल हो रहा है। खेतों के चारों ओर तार लगाए, उन्हें भी पशुओं ने तोड़ दिया।

जल्द हटेंगे चारागाह से अवैध कब्जे
एसडीएम अशोक शर्मा ने बताया कि पशुओं को टप्पल गोशाला भेजा जा रहा है। पास के ही गांव हरजी का बांस में नौ बीघा चारागाह की जमीन है। इस पर अवैध कब्जे हैं, जिन्हें चिन्हित कर लिए गए हैं। जल्द अवैध कब्जे हटवा गोशाला बनवाई जाएगी।


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