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अलीगढ़ में कोहरे ने छीन लीं 763 जान, हादसों से बच सकते हैं ऐसे, जानिए विस्‍तार से

हर साल देश की सड़कें लाखों बेशकीमती मानव संसाधनों को निगल रही हैं। आलम यह है कि प्रमुख बीमारियों व अन्य घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा भी यहां तक नहीं पहुंच रहा है जितनी संख्या पिछले तीन साल में सड़क हादसों में मरने वालों की है ।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 08:33 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 08:33 AM (IST)
अलीगढ़ में कोहरे ने छीन लीं 763 जान, हादसों से बच सकते हैं ऐसे, जानिए विस्‍तार से
हर साल देश की सड़कें लाखों बेशकीमती मानव संसाधनों को निगल रही हैं

अलीगढ़, रिंकू शर्मा।  हर साल देश की सड़कें लाखों बेशकीमती मानव संसाधनों को निगल रही हैं। आलम यह है कि प्रमुख बीमारियों व अन्य घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा भी यहां तक नहीं पहुंच रहा है जितनी संख्या पिछले तीन साल में सड़क हादसों में मरने वालों की है । जिले में होने वाले हादसों का आंकड़ा देखें तो तीन साल में ही 763 लोग अकाल ही मौत का शिकार बन चुके हैं । पिछले 10 महीने में ही 341 लोग सड़क हादसों में मौत के मुंह में समा चुके हैं । यानी हर माह 34 लोगों की मौत इन सड़क हादसों में हो रही है । किसी सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के बाद उस पर आश्रित पूरा एक परिवार सालों पीछे चला जाता है । हताहतों के साथ तो मानो दुश्वारियों का पहाड़ ही टूट पड़ता है । सर्द मौसम के साथ घने कोहरे व धुंध में वाहन चलाना बेहद जोखिम भरा होता है । ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही जीवन पर भारी पड़ सकती है । सुरक्षित सफर के लिए यातायात नियमों का पालन करने के साथ ही सावधानी बेहद जरूरी है। इससे होने वाले सड़क हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है । खासकर कोहरे के समय शहर व हाईवे पर वाहन चालकों को सतर्कता बरतनी चाहिए । हालांकि यातायात नियमों की सख्ती व नियमों के उल्लंघन पर सरकार के भारी-भरकम जुर्माने से काफी हद तक चालकों पर इसका असर दिखाई देने लगा है । 

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नहीं किए जा रहे ठोस उपाय 

प्रदेश में अलीगढ़ सड़क हादसों के लिए बदनाम है और हादसों की सूची में आठवें नंबर पर है। यहां आए दिन हादसों में सड़कें खून से लाल हो रही हैं, इसके बाद भी कोई सबक नहीं ले रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे व गाजियाबाद एक्सप्रेस पर सर्वाधिक मौतें होती हैैं। फिर भी जिम्मेदार लोग हादसे रोकने के लिए ठोस योजना नहीं बनाते। कहने भर को जिले में हर छह माह में जनपदीय सड़क सुरक्षा समिति हादसों को रोकने के लिए दुर्घटना बाहुल्य इलाकों व ब्लैक स्पाट का निरीक्षण करती है और हादसों से बचाव के तमाम उपाय भी सुझाती है, बावजूद इसके वास्तविकता के धरातल में ऐसा कुछ नहीं दिखता है। कई सालों से ऐसा चला आ रहा है, लेकिन हालात नहीं बदल सके हैं । 

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी 

अक्सर कोहरे में होने वाले हादसों के दौरान देखने को मिलता है कि सड़क पर बिना किसी इंडीकेटर व सुरक्षा के ही सरियों से लदे ट्रक, खाद्यान्न लेकर बिना हेड लाइट के टार्च की मदद से दौड़ते ट्रैक्टर ही हादसों का कारण बनते हैं । ट्रकों, बसों आदि बड़े वाहनों को सड़क किनारे खड़ा करते समय और सतर्कता होनी चाहिए । मनमाने और बेतरतीब वाहनों को खड़ा कर देने पर घने कोहरे में यह दिखाई नहीं देते और बड़े हादसों के कारण माने जाते हैं । नशा कर वाहन चलाना भी हादसों के लिए कम जिम्मेदार नहीं है।

नशा, तेज गति व जर्जर सड़कें कारण 

नशे में वाहन संचालन, तेज रफ्तार, ओवरलोड वाहन, जर्जर सड़कें, खराब ट्रैफिक सिग्नल, गलत तरीके से पार्किंग सड़क हादसों का प्रमुख कारण हैं। कम उम्र के बाइक सवारों से भी हादसे हो रहे हैं। 

ओवरटेक न करें वाहन

सड़क पर वाहन चलाते में रेस न लगाएं । यह जरूरी नहीं कि कोई आपसे आगे निकल गया तो आप भी उससे आगे निकलें और यातायात के नियमों को तोड़े। अगर आप यातायात के नियम का पालन करते हुए गाड़ी चलाते हैं तो यह आपके साथ-साथ दूसरों के लिए भी अच्छा होगा । 

अवैध कटों पर लगें संकेतक 

हाइवे के अलावा जीटी रोड व आम रास्तों से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं । ऐसे में होने वाले हादसाें को रोकने के लिए अवैध कटों पर संकेतक या बोर्ड लगाए जाने चाहिए, ताकि सड़क हादसों का ग्राफ कम हो सके। 

नियम तोड़ने में नंबर वन 

ट्रैफिक पुलिस यातायात नियम तोड़ने वालों से सख्ती से निपट रही है। जिले में चालान, जुर्माना व सीज की कार्रवाई का नया रिकार्ड बना डाला है । बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, तीन सवारी, ओवर स्पीड को लेकर काफी संख्या में चालान किए गए हैं । ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों को मानें तो शहर व देहात क्षेत्र में औसतन रोजाना 700 से अधिक वाहनों पर चालान व जुर्माना वसूलने के साथ ही उन्हें सीज करने की कार्रवाई की जा रही  है । पिछले तीन माह में ही 53 हजार से अधिक वाहनों पर कार्रवाई करते हुए करीब 2.65 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूला जा चुका है ।

जिले के ब्लैक स्पाट

क्रम संख्या, ब्लैक स्पाट, हादसे, मौत, घायल 

01-अबंतीबाई चौराहा अतरौली, 09, 07, 19

02- बरौठा नहर, हरदुआगंज, 10, 08,16

03- गंगीरी, 06, 04, 12

04- गोपी, अकराबाद, 04, 05, 06

05- पनैठी, 10, 04, 11

06- नानऊ, 05, 05, 07

07- खेरेश्वर -लोधा, 14, 07, 26

08- लोधा, 11, 08, 04

09- चूहरपुर गभाना, 08, 04, 05

10- बरौली मोड़, 09, 07, 18

11- मुकंदपुर- मडराक,07, 06, 03

12- पीतल फैक्ट्री- मडराक, 06, 04, 21

13- यमुना एक्सप्रेस वे 08, 06, 10

( आंकड़े = एक दिसंबर 2019 से 15 जनवरी 2021 तक : स्रोत परिवहन विभाग )

पांच साल में सड़क हादसे 

वर्ष, हादसे, मृतक, घायल, बिना हेलमेट, चार पहिया 

2016, 790, 438, 639, 231, 219 

2017, 882, 580, 392, 419, 281 

2018, 507, 417, 298, 301, 206

2019, 489, 391, 198, 193, 98

2020, 327, 232, 233, 169, 63 

( आंकड़े : 31 दिसंबर 2020 तक, स्रोत ट्रैफिक पुलिस ) 

यातायात नियमों के उल्लंघन में कार्रवाई

यातायात अपराध, चालान  

बिना हेलमेट :  25,122,  

तीन सवारी : 1,818

सीट बेल्ट : 1678

गाड़ी चलाते में मोबाइल फोन का प्रयोग : 632

गलत दिशा : 408  तेज गति : 587

शराब पीकर वाहन संचालन : 21बिना बीमा :  265

बिना ड्राइविंग लाइसेंस : 527

हूटर, सायरन, प्रेशर हार्न : 319

वाहन सीज : 816

आड- ईवन : 1,012,

यातायात उल्लंघन में कार्रवाई 

माह, चालान 

जनवरी -18,679

फरवरी - 16,480

मार्च- 38, 274

अप्रैल- 25,577

मई- 20,744 

जून - 19,540

जुलाई - 17, 568

अगस्त - 16,727

सितंबर - 13,515

अक्टूबर - 11, 211

नवंबर- 18,265

दिसंबर - 19, 282

जनवरी- 10,101

(आंकडें : एक जनवरी 2020 से 20 जनवरी 2021 तक ) 

यहां संभलकर चलिए 

यमुना एक्सप्रेस वे पर टप्पल इंटरचेंज के पास बने अवैध कट  हादसों का कारण बनते हैं। 

- गाजियाबाद हाईवे पर दौरऊ मोड़ पर चंडौस की ओर आने वाले वाहन सीधे ही विपरीत दिशा में चलने लगते हैं, जिनसे हादसे होते रहते हैं। 

- हाईवे पर ही कटरा मोड़ पर सड़क में कट होने के कारण यहां से निकलने वाले वाहन हाईवे पर दौड़ते वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। 

- गभाना-बरौली चौराहे पर अंडरपास व डिवाइडर न होने से वाहन भिड़ जाते हैं।  एक साल में यहां 19 लोगों की मौत हो चुकी है। 

- खेरेश्वर चौराहे पर भारी भीड़ के चलते अक्सर हादसे होते हैं। यहां ओवरब्रिज को मंजूरी मिल चुकी है। 

- एटा चुंगी-क्वार्सी रोड पर कयामपुर मोड़ पर वाहन ओवरटेक करने पर हादसे होते रहते हैं। 

- बौनेर, पनैठी, गोपी अधौन व अकराबाद में वाहनों के जल्दबाजी दिखाने पर हादसे होते हैं। 

- मथुरा बाईपास अंडर पास पर वाहन अक्सर भिड़ जाते हैं। 

- तालानगरी व बरौठा पुलिया के पास इंड्रस्ट्रियल एरिया में ट्रैफिक लोड अधिक होने पर हादसे होते हैं। 

जागरण सुझाव 

- कोहरे में सड़क किनारे सफेद पट्टी देखकर चलें । इंडीकेटर आन रखते हुए हार्न का प्रयोग करते रहें । वाहन में फाग लैंप लगवाएं ।

- फोर व्हीलर में सीट बेल्ट बांधे, बाइक चलाते समय हेलमेट पहने। ज्यादा जरूरी न हो तो रात में वाहन चलाने से परहेज करें।

- रात में वाहन चलाते में सावधानी बरतें, सामने व पीछे से आ रहे वाहनों से निश्चित दूरी बनाए रखें । 

- सड़क पार करते समय दोनों ओर को देखकर पार करें । हड़बड़ी में दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं ।

- सड़क पर अचानक ब्रेकर आने पर सावधानी बरतें। दुर्घटना बहुल क्षेत्रों में वाहन की स्पीड नियंत्रित रखें । 

- सड़क किनारे खड़े होकर वाहन का इंतजार करने पर पर्याप्त दूरी बनाए रखें। तेज रफ्तार वाहनों को रोकने की कोशिश न करें।

- वाहनों पर लाइट रिफलेक्टर लगाएं । रात में वाहन चलाते समय अपर-डिपर का प्रयोग करें। अचानक ब्रेक लेने से बचें । 

- सड़क पार करते में हड़बड़ी न दिखाएं और दोनों ओर देखकर ही निकलें। 

- वाहन चलाते में दुर्घटना बाहुल्य व आबादी क्षेत्र में ब्रेकर का ध्यान रखें और वाहन की गति कम कर लें । 

- सड़क किनारे खड़े होकर वाहन का इंतजार करने पर पर्याप्त दूरी बनाए रखने के साथ ही तेज गति से जा रहे वाहन को न रोंके । 

- निर्माणाधीन सड़कों पर वाहन चलाते समय रफ्तार पर नियंत्रण रखें और जल्दबाजी न दिखाएं । 


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