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गुप्त रूप से साधना कर सिद्धि हासिल करनी है तो आ गया सही समय, जानिए कैसे? Aligarh news

देवीभक्त सिद्धि प्राप्ति के लिए एकांत व शांत वातावरण में साधना करते हैं। मगर घर पर रहकर भी सिद्धि व मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद हासिल करने का मौका मां दुर्गा अपने भक्तों को देती हैं। नवरात्रि के वक्त ज्यादातर देवीभक्त व्रत व पूजन में लग जाते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 01:44 PM (IST)Updated: Sun, 11 Jul 2021 02:17 PM (IST)
गुप्त रूप से साधना कर सिद्धि हासिल करनी है तो आ गया सही समय, जानिए कैसे? Aligarh news
देवीभक्त सिद्धि प्राप्ति के लिए एकांत व शांत वातावरण में साधना करते हैं।

अलीगढ़, जेएनएन । देवीभक्त सिद्धि प्राप्ति के लिए एकांत व शांत वातावरण में साधना करते हैं। मगर घर पर रहकर भी सिद्धि व मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद हासिल करने का मौका मां दुर्गा अपने भक्तों को देती हैं। नवरात्रि के वक्त ज्यादातर देवीभक्त व्रत व पूजन में लग जाते हैं। चैत्र व अश्चिन नवरात्रि के तौर पर साल में दो बार नौ दिन का व्रत रख हवन-पूजन कर मां की आराधना की जाती है। लेकिन इन दो प्राकट्य नवरात्रि के अलावा भी दो नवरात्रि होती हैं जो गुप्त रूप से मनाई जाती हैं। साधक को गुप्त रूप से मां की आराधना कर सिद्धि प्राप्त करने का समय अब आ गया है। 

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नौ दिन होगी शक्‍ति की आराधना

प्रत्येक ऋतु में पड़ने वाली नवरात्रि में शक्ति की पूजा का नौ दिन की विशेष पूजा का विधान है। इन सभी चारों नवरात्रों को दो वर्गों में बांटा गया है। जिनमें से चैत्र एवं अश्विन नवरात्रि प्रकट नवरात्रि होते हैं, जबकि आषाढ़ एवं माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। सभी प्रकार की गुप्त साधना करने के लिए गुप्त नवरात्रि अति उत्तम मानी गई है। गुप्त नवरात्रि में महासरस्वती की साधना एवं शाकंभरी पूजन का भी विधान है। आज से प्रारम्भ होकर नवरात्रि 18 जुलाई 2021 तक मनाई जाएगी। इस नवरात्र में साधु संत और साधक अपनी सिद्धि की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की पूजा और आराधना गुप्त रूप से करते हैं। गुप्त नवरात्रि के विषय में यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने दी। स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि इसलिए आषाढ़ की नवरात्रि में शक्ति की आराधना की जाती है लेकिन आज रवि पुष्य योग होने से गुप्त नवरात्र की पूजा मनचाहा फल देने वाली होगी। आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि मनाए जाने का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है। जिसमें मानव, पशु-पक्षी आदि भी तमाम तरह के रोग से पीड़ित हो जाते हैं। ऐसे में इस पावन नवरात्रि में तमाम रोगों से मुक्ति के लिए शक्ति की विशेष साधना की जाती है। चूंकि हमारा देश कृषि प्रधान है, ऐसे में बहुत हद तक हम सभी वर्षा पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में आदि शक्ति को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ, हवन, मंत्र जाप आदि विशेष रूप से किया जाता है। शैव एवं शाक्त परंपरा के लिए भी गुप्त नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है।

पूजा व स्थापना का समय

महाराज ने नवरात्रि पूजा के विधान को विस्तृत करते हुए कहा कि घट स्थापना सुबह 09:08 से लेकर दोपहर 12:32 बजे तक और दोपहर 12:05 से लेकर 12:59 बजे का समय शुभ रहेगा। इसलिए सूर्योदय से पहले उठकर और स्नान-ध्यान करने के पश्चात शुद्ध मन से माता की साधना का संकल्प करें। माता की सभी पूजन सामग्री लेकर विधि-विधान से कलश स्थापित करें और मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोएं। जिसे प्रतिदिन शुद्ध जल से सींचते रहें। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक सच्चे मन से माता की साधना करें।


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