अलीगढ़ आएं तो पंडित जी के हाथ के बने राम लड्डू जरूर खाएं, इसे चटनी के साथ खाने का मजा ही कुछ और है
अलीगढ़ में अगर आप आएं तो पंडित जी के राम लड्डू जरूर खाएं ये मीठे नहीं बल्कि चटपटे होते हैं इन्हें चटनी के साथ खाने में मजा आ जाता है। दरअसल यह मूंग की दाल के बनते हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। लड्डू तो सभी ने खाए होंगे। पर, ये राम लड्डू हैं। मिठाई वाले लड्डू से अलग। मीठे तो कतई नहीं। चटपटे ऐसे कि आप भी याद रखें। पंडित नेत्रपाल शर्मा के हाथों बने यह राम लड्डू चटनी से खाए जाते हैं। स्वाद लाजवाब। एक बार खा लें तो बार -बार खाने का मन करे। यही वजह है कि पिछले 15 साल से रामघाट-कल्याण मार्ग स्थित टीकाराम कन्या महाविद्यालय के गेट के सामने लगती आ रही पंडित नेत्रपाल की ढकेल पर ग्र्राहक तारीफ करते नजर आते हैं। शहर में रामलड्डू मिलने का यह एकमात्र ठिकाना है।
मूंग के दाल के बनते हैं लड्डू
दरअसल, यह मूंग की दाल के बने होते हैं। दाल को करीब 12 या 14 घंटे पानी भिगोई जाती है। फिर अच्छे से धोने के बाद बारीक पीसा जाता है। इसके बाद आधा घंटा तक फेंटा जाता है। नमक डाल कर खाद्य तेल में तला जाता है। खट्टी हरी चटनी व सौंठ से इसे खाने पर स्वाद दीवाना बना देता है। संभल जिले के गंगा तट के किनारे लहरा नगला के मूल निवासी पंडित नेत्रपाल शर्मा ने राम लड्डू बनाना दिल्ली में सीखा था। वे छह साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। किशोर अवस्था में वे रोजगार की तलाश में दिल्ली पहुंच गए और वहां राम लड्डू की एक दुकान पर काम किया। दिल्ली के लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट में उन्होंने कई साल महीने राम लड्डू बेचे। एक रिश्तेदार के सुझाव पर 15 साल पहले वे महानगर के बेगमबाग में आकर रहने लगे। दिल्ली के इस खास राम लड्डू व्यंजन की ढकेल लगना शुरू कर दिया। यह ढकेल शाम साढ़े पांच बजे से यह ढकेल लगती है।
पांच पीस का होता है एक पत्ता
राम लड्डू का एक पत्ता पांच पीस का होता है। गरमा गरम इन लड्डूओं को दौने रखे जाते हैं। चटनी व सौंठ भी दी जाती है। इसमें मसालों का मिश्रण इतना स्वादिष्ट होता है, कि लोग अंगुली चाटते रह जाते हैं। शुरूआत में एक पत्ता 10 रुपये का था। अब यह 30 रुपये में मिलता है।
इनका कहना है
राम लड्डू का स्वाद गजब है। पूरा परिवार पसंद करता है। यह शहर में एक ही स्थान पर मिलते हैं।
- राजा राजानी, ग्राहक
पंडित जी के हाथ के बने राम लड्डू शहर में किसी दूसरे स्थान पर नहीं मिलते। शाम को अक्सर यहां आकर खाते हैं।
- पप्पू सैनी, ग्राहक