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अपने समुदायों की महिलाओं को सशक्त न किया तो एक टायर पंचर हो जाएगा : प्रो. खातून Aligarh news

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य प्रो. नईमा खातून ने कहा है कि महिलाओं को हर निकाय और हर स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। कहा यदि अपने समुदाय की महिलाओं को सशक्त नहीं करेंगे तो साइकिल का एक टायर पंचर रहेगा।

By Parul RawatEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:52 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:52 AM (IST)
अपने समुदायों की महिलाओं को सशक्त न किया तो एक टायर पंचर हो जाएगा : प्रो. खातून  Aligarh news
कार्यक्रम में शामिल प्रो. नईमा खातून व प्रो. शाहिद सिद्दीकी

अलीगढ़, जेएनएन : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य प्रो. नईमा खातून ने कहा है कि महिलाओं को हर निकाय और हर स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। कहा यदि आप अपने समुदाय की महिलाओं को सशक्त नहीं करते हैं, तो साइकिल का एक टायर पंचर रहेगा। इस गलती को सुधारे बिना कोई प्रगति नहीं की जा सकती है।

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महिला सशक्‍तिकरण पर कार्यक्रम

प्रो. नईमा खातून डायरेक्टर जनरल, मेडिकल एजुकेशन एंड ट्रेनिंगए यूपी के निर्देशन में जेएन मेडिकल कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय महिला सशक्‍तिकरण क्षमता निर्माण उन्मुखीकरण कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहीं थीं। प्रो. खातून ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका के बारे में बताते हुए शेख अब्दुल्ला द्वारा अलीगढ़ में एक महिला कॉलेज की स्थापना की तथा उनकी सेवाओं पर प्रकाश डाला। कहा कि कई देशों में महिला नेताओं ने खुद को कोविड-19 महामारी और अन्य मानवीय संकटों से निपटने में अपने को अधिक सफल साबित किया है क्योंकि वे अधिक संवेदनशील हैं। 


पुरुष वर्चस्‍व की मानसिकता बदलें

एएमयू के  जेएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. शाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि लैंगिक समानता महिला सशक्‍तिकरण की दिशा में पहला कदम है। यह हमारे संविधान में निहित है। जो हमें नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करने की शक्ति देता है। प्रो. सिद्दीकी ने समाज में पुरुष वर्चस्व की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसारए भारत में महिलाओं की साक्षरता दर केवल 60 प्रतिशत थी जबकि पुरूषों की साक्षरता दर 80 प्रतिशत है। जो एक चिंता का विषय है, क्योंकि एक बालिका को शिक्षित करना परिवार और पूरे समाज को शिक्षित करने के समान है। इससे पूर्व मेडीसन संकाय के डीन प्रो. राकेश भार्गव ने कहा कि हमारे समाज में एक बड़ा लैंगिक अंतर है और महिलाओं को शिक्षित बनाकर इस अंतर को पाटने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक और आर्थिक सशक्तीकरण के अलावा, हमारे पास मनोवैज्ञानिक सहायता प्रणाली भी होनी चाहिए, ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के पुलिस स्टेशनों में हेल्प डेस्क एक अच्छी पहल हैं। फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट की अध्यक्ष प्रो. संगीता सिंघल ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को रेखांकित किया। इस अवसर पर अदीला सुल्ताना भी मौजूद रहीं। तीन दिवसीय कार्यक्रम में 28 अक्टूबर को प्रमाणपत्रों के वितरण के साथ समाप्त होगा।


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