अफसर होते अलर्ट तो फिर बर्बाद नहीं होते 1.10 करोड़ रुपये, विस्तार से जानिए मामला Aligarh News
सरकारी पैसे की कैसे बर्बादी होती है इसका उदाहरण देखना है तो रामघाट रोड को देखिए। पीएसी के पास रामघाट रोड पर डेढ़ साल से जलभराव हो रहा था। पानी भरे होने के चलते तारकोल की सड़क गड्ढों में परिवर्तित हो गई।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। सरकारी पैसे की कैसे बर्बादी होती है इसका उदाहरण देखना है तो रामघाट रोड को देखिए। पीएसी के पास रामघाट रोड पर डेढ़ साल से जलभराव हो रहा था। पानी भरे होने के चलते तारकोल की सड़क गड्ढों में परिवर्तित हो गई। मगर, नाले का निर्माण कार्य नहीं कराया गया। यदि पहले नाले का निर्माण करा दिया जाता तो फिर सड़क पर पानी नहीं भरता और उसपर गड्ढे नहीं होते। अब जब डेढ़ साल से जलभराव से सड़क जर्जर हो गई तो नाला और सीसी रोड का निर्माण किया जा रहा है। 1.10 करोड़ रुपये की लागत से सड़क का निर्माण हो रहा है।
आस्था का सैलाब उमड़ा
रामघाट रोड जिले के सबसे प्रमुख मार्गों में से एक है। इस मार्ग पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का पैतृक गांव मढ़ौली है। उनके नाती संदीप सिंह प्रदेश सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं। संदीप सिंह के पिता राजवीर सिंह राजू भैया एटा से सांसद हैं। इसी के साथ यह मार्ग गंगा तट के लिए जाता है। रामघाट, राजघाट, सांकारा, नरौरा आदि गंगा तट तक यह मार्ग पहुंचता है। इसलिए इस मार्ग पर श्रद्धालुओं का भी आना-जाना लगा रहता है। महाशिवरात्रि पर तो इस मार्ग पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। रामघाट रोड पर नरौरा परमाणु केंद्र भी है, जहां देश के तमाम वैज्ञानिकों का आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा यह मार्ग बरेली, मुरादाबाद और बदायुं की ओर जाता है, जिससे हर समय इसपर यातायात बना रहता है। इसके बावजूद रामघाट रोड पर पीएसी के पास डेढ़ साल से जलभराव हो रहा था। तारकाेल की सड़क पर जलभराव होने से धीरे-धीरे सड़क पर गड्ढे होते चले गए। देवसैनी गांव के लोगों ने नाला बनवाने की मांग की मगर उस पर गौर नहीं किया गया। लोक निर्माण विभाग खुद कहता रहा कि नाला का निर्माण न होने से सड़क खराब होती जा रही है, ऐसे कुछ दिनों बाद इसपर गड्ढे ही गड्ढे दिखाई देंगे, यह हुआ भी। डेढ़ साल में सड़क पूरी तरह से जर्जर हो गई। सड़क पर इतने बड़े गड्ढे हो गए कि ट्रक के पहिए भी इसमें समा जा रहे थे। इस मार्ग से सीएम योगी आदित्यनाथ का भी निकलना हुआ।
70 लाख सरकार का बर्बाद
तमाम वीआईपी भी निकलते हैं। इसे देखते हुए मार्ग के निर्माण की तैयारी हुई। एक बार तारकोल से फिर सड़क की मरम्मत की गई, मगर ढाक के तीन पात वाली स्थिति रही। 15 दिनों में ही सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई। अब सीसी रोड का निर्माण हाे रहा है, साथ ही नाले का भी। करीब 1.10 करोड़ में दोनों का निर्माण होगा। सवाल उठ रहा है कि जब नाला निर्माण शासन से आदेश प्राप्त हो गया तो पहले क्यों नहीं यह आदेश पारित कराया गया। जब जलभराव होना शुरू हो गया था तभी नाला निर्माण की चिंता की जाती। यदि उस समय नाला बन जाता तो 1.10 करोड़ रुपये बर्बाद न होते। नाला निर्माण में बमुश्किल 35 लाख रुपये खर्च होते। कम से कम सरकार का 70 लाख से ऊपर पैसा बर्बाद तो न होता।