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इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब को नहीं भा रहा मोदी को बुलाना Aligarh News

प्रो. इरफान ने कहा है कि जहां तक नेशनल रिसर्च की बात है तो उसके लिए तो बीजेपी जहर है। आरएसएस तो आजादी के पहले से ही अंग्रेजों से ज्यादा मुस्लमान दुश्मन थे अब भी हैं। बीजेपी वाले समझते हैं कि इसी से वोट वोट मिलते हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 09:44 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 09:44 AM (IST)
इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब को नहीं भा रहा मोदी को बुलाना Aligarh News
इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब ने कहा कि यहां स्कॉलर आते हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमरेटस व प्रख्यात इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब को शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल होना नहीं भा रहा है। उन्होंने कहा है कि यहां स्कॉलर आते हैं। ये यूनिवर्सिटी है। प्रधानमंत्री आएं या न आएं इससे दुनिया पर क्या फर्क पड़ेगा। शनिवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि खासकर ऐसे प्रधानमंत्री आएं जो हिंदुस्तान के कल्चर को गलत तरीके से लीड कर रहे हैं, यूनिवर्सिटी के लिए ये तो इज्जत की बात नहीं लगती। सोशल साइंस की बात करें तो बीजेपी की पॉलिसी ही अलग है, वो तो दूसरी दुनिया में रहते हैं। इतिहास में तो उनका बहुत गलत नजरिया है। यूपी में लव जिहाद का कानून पास हुआ है। प्रधानमंत्री ऐसी बातों को बर्दाश्त कर रहा है। पीएम को बुलाते हैं तो ये आपका फैसला है। कैंपस के लिए उनका दौरा कैसा रहेगा इस पर प्रो. इरफान ने कहा है कि मुझे नहीं लगता इसका कितना असर होगा। जहां तक नेशनल रिसर्च की बात है तो उसके लिए तो बीजेपी जहर है। आरएसएस तो आजादी के पहले से ही अंग्रेजों से ज्यादा मुस्लमान दुश्मन थे, अब भी हैं। बीजेपी वाले समझते हैं कि इसी से वोट वोट मिलते हैं। मुझे नहीं लगता कि उनके विजिट से कोई फक्र पड़ेगा।

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अमुटा ने किया मोदी का स्वागत, बजट बढ़ाने की मांग

एएमयू टीचर्स एसोसिएशन की कार्यकारी समिति की शनिवार को बैठक हुई। इसमें पीएम मोदी के शताब्दी समारेाह में शामिल होने का स्वागत किया गया है। पीएम को लिखे पत्र में अमुटा सचिव प्रो. नजमुल इस्लाम ने कहा है कि इस महान अवसर पर एएमयू बिरादरी का प्रत्येक सदस्य अलीग होने पर गर्व महसूस करता है। कहा पीएम की उपस्थिति से एएमयू को मदद भी मिलेगी। एएमयू का शिक्षा का मक्का है। अमुटा ने एएमयू बिरादरी की ओर से बजट आदि के लिए मांग भी की है। कहा है। कहा है एएमयू के फंड में 25 प्रतिशत वृद्धि की जाए। मेडिकल साइंस, साइंस, लाइफ साइंस, टेक्नॉलोजी, कानून और साहित्य, सैन्य, अंतरिक्ष और समुद्री विज्ञान के केंद्र बनाने में मदद की जाए। छात्रावास बनाने और अलीगढ़ को बनारस की तरह मेजर स्मार्ट सिटी में शामिल किया जाए। एजुकेशनल और बिजनेस हब के रूप में भी विकसित किया जाए।

मातृसंस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का अवसर

एएमयू के विभिन्न विभागों से संबद्ध कई युवा शिक्षाविदों ने कहा है कि शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री की आनलाइन भागीदारी दुनिया भर में फैले यूनिवर्सिटी के पुरातन छात्रों के लिए गौरव का विषय है। यह एक जुट होकर अपनी मातृसंस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने का भी मौका है। हम विश्वविद्यालय के साथ अपने सहयोग की घोषणा करते हैं। इस आशय का पत्र लिखने वालों में डॉ. आफताब आलम (उर्दू विभाग), सलमान खलील (सामुदायिक चिकित्सा विभाग), डॉ. जिबरईल (इतिहास विभाग), डॉ. मोहम्मद असलम (राजनीति विज्ञान विभाग), डॉ. मामून रशीद (उर्दू विभाग), डॉ. जाकिर हुसैन (दर्शनशास्त्र विभाग), डॉ. लामे बिन साबिर (बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग), डॉ. मोहम्मद सलमान शाह (सामुदायिक चिकित्सा विभाग), डॉ. मोहम्मद सोहराब खान (सीनियर सेकेंडरी स्कूल गर्ल्स), सैयद मोहम्मद तल्हा और राशिद इमरान (सिविल इंजीनियरिंग सेक्शन, यूनिवर्सिटी पालिटेक्निक) शामिल हैं।

प्रोफेसरों में खामोशी भी

अमुटा ने भले ही पीएम मोदी के स्वागत का प्रस्ताव पास किया जो लेकिन एएमयू के बहुत से प्रोफेसर ऐसे हैं जो इस बारे में कुठछ भी नहीं बोल पा रहे। वैसे तो मोदी के कार्यक्रम के बारे में खूब बात कर रहे हैं लेकिन जब उनका बयान छापने की बात करते हैं तो पीछे हट जाते हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब भी इस तरह के मौके आते हैँ एएमयू के अधिकांश प्रोफेसर पीछे हट जाते हैं।


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