स्वास्थ्य विभाग की सलाह, उस मानसिकता को तिलांजलि दें कि यह सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है, समझदारी दिखाएं पुरुष
सरकार की ओर से परिवार नियोजन को लेकर कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं लेकिन यह तभी फलीभूत हो सकती है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने को आगे आएं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हर सम्भव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आएं और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। यह सलाह स्वास्थ्य विभाग की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान पुरुषों को दी जा रही है, लेकिन फिर भी पूर्ण सफलता नहीं मिल रही।
ये मिलती हैं सुविधाएं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला लेखा प्रबंधक एमपी सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24, 2019-20 में 30 पुरुषों व 2020-21 में 35 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 51 पुरुषों की नसबंदी हो चुकी है। नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए की धनराशि दी जाती है । नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख रुपए की धनराशि दिए जाने का प्रविधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है ।
यौन क्षमता पर नहीं पड़ता कोई असर
परिवार नियोजन के जिला स्तरीय प्रशिक्षक डॉ. राम बिहारी का कहना है कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है। यह 99.5 प्रतिशत सफल है। इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है। पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं। नसबंदी के तीन माह के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है।
चंद मिनटों में हुई नसबंदी
42 वर्ष की उम्र में पुरुष नसबंदी अपनाने वाले ब्लाक गंगीरी के व्यक्ति ने बताया कि उसकी परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के इस्तेमाल में कोई दिलचस्पी नहीं थी। आगे कोई बच्चा चाहिए ही नहीं, तो इन साधनों को अपनाने का कोई मतलब भी नहीं था। पत्नी की सहमति से खुद की नसबंदी का निर्णय लिया । नसबंदी के अपने अनुभवों का साझा करते हुए वह बताते हैं कि हल्की एनेस्थिसिया दी जाती है जिससे दर्द नहीं होता। चंद मिनट में नसबंदी हो जाती है । नसबंदी के बाद आदमी अपने दैनिक कार्य कर सकता है । नसबंदी की सफलता जांच होने तक असुरक्षित शारीरिक संबंध होने से बचना होता है। नसबंदी सफल होने के बाद यौन सुख में कोई कमी नहीं आती हैं | चंद मिनटों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
ये लोग करा सकते हैं नसबंदी
सीएमओ डा. नीरज त्यागी ने बताया कि पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को दो हजार रुपए उसके खाते में दिए जाते हैं । पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो, जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 300 रुपए देने का प्रविधान है। इसलिए पुरुषों को नसबंदी के लिए आगे आना चाहिए।