Exercise : वर्षों पुरानी गुरुकुल पद्धति की ओर वापस लौटेंगे जिले के परिषदीय स्कूल Aligarh news
नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को मौलिक अधिकारों नागरिकता कौशल जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता स्वच्छता जलवायु परिवर्तन और अपशिष्ट प्रबंधन आदि के बारे में जानकारी देने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अब साफ-सफाई की व्यवस्था नन्हे-मुन्ने बच्चों के कंधों पर आना लाजिमी है।
अलीगढ़, जेएनएन : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अब वर्षों पुरानी गुरुकुल पद्धति को वापस फिर से अमल में लाए जाने की कवायद शुरू की गई है। नई शिक्षा नीति में भी इस पद्धति को अपनाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि गुरुकुल पद्धति को अपनाने जैसा प्रावधान तो नहीं हैं लेकिन इसके तहत बच्चों को जो गतिविधियां कराई जाएंगी वो गुरुकुल पद्धति से मेल खाने वाली हैं। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को मौलिक अधिकारों, नागरिकता कौशल, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता, स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन और अपशिष्ट प्रबंधन आदि के बारे में जानकारी देने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अब साफ-सफाई की व्यवस्था नन्हे-मुन्ने बच्चों के कंधों पर आना लाजिमी है।
बच्चे खुद साफ करते थे कक्षा
पुरातन समय में गुरुकुल पद्धति के अनुसार बच्चे अपनी कक्षाओं व परिसर को साफ-सुथरा करते थे। फिर वहीं बैठकर शिक्षा ग्रहण करते थे। अब बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में भी इस प्रक्रिया को अपनाने की ओर कदम बढ़ाया गया है। अब साफ-सफाई की व्यवस्था व जिम्मेदारी विद्यार्थियों के कंधों पर आएगी। ऐसा इसलिए नहीं किया जा रहा है कि बच्चों को ही विद्यालय में साफ-सफाई करनी है। बल्कि इसको पाठ्यक्रम के तौर पर कराया जाएगा। हर विद्यार्थी को 15 से 20 मिनट तक रोजाना सफाई करनी होगी। कक्षा एक से पांच तक के बच्चे इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए ये अनिवार्य होगा। नई शिक्षा नीति में बच्चों को उनके मौलिक अधिकार, स्वच्छता आदि के बारे में परिपक्व करने का प्रावधान किया गया है। उसी के तहत शासनस्तर से ये फैसला किया गया है। स्कूलों में मेरा विद्यालय-स्वच्छ विद्यालय कार्यक्रम चलाया जाएगा। नए सत्र से कक्षा छह से आठ तक के हर सरकार स्कूल में ये व्यवस्था लागू होगी। स्वच्छता को पवित्रता पर्व के तौर पर मनाने की योजना भी बनाई जा रही है। नए शिक्षा सत्र से ये व्यवस्था विद्यालयों में लागू की जाएगी।
गुरुजन भी करेंगे सफाई
शिक्षक न केवल विद्यार्थियों को साफ-सफाई का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करेंगे बल्कि उनका मार्गदर्शन कर खुद भी सफाई करेंगे। इसके लिए शिक्षकों की ओर से छात्र-छात्राओं का समूह भी तैयार किया जाएगा। विद्यालय के परिसर को चिह्नित वहां बच्चों से सफाई कराई जाएगी। इस प्रक्रिया को स्कूल की समय सारिणी में भी शामिल किया जाएगा।
इनका कहना है
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान के अनुसार नई व्यवस्था का क्रियान्वयन नए सत्र से कराने का प्रयास होगा। शासनस्तर से ऐसी व्यवस्था शिक्षकों व विद्यार्थियों में स्वच्छता व मौलिक अधिकारों को आत्मसात करने के उद्देश्य से की गई है। इसके क्रियान्वयन के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश आने पर इसको लागू कराया जाएगा।
डा. लक्ष्मीकांत पांडेय, बीएसए