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Hathras Lockdown Update: मोपेड पर पत्नी व बच्चों के साथ दिल्ली से आ रहे कैंसर पीडि़त की मौत

दिल्ली से मोपेड पर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ सिद्धार्थनगर जा रहे व्यक्ति की सिकंदराराऊ में अचानक तबीयत बिगड़ गई और मौत हो गई। मृतक कैंसर बीमारी से पीडि़त था।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 03:51 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 05:26 PM (IST)
Hathras Lockdown Update: मोपेड पर पत्नी व बच्चों के साथ दिल्ली से आ रहे कैंसर पीडि़त की मौत
Hathras Lockdown Update: मोपेड पर पत्नी व बच्चों के साथ दिल्ली से आ रहे कैंसर पीडि़त की मौत

हाथरस [जेएनएन]। कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन की वजह  से सैकडों लोग अपने परिरवार के साथ दिल्‍ली से लौट रहे हैं। शनिवार को तहसील सिकंदराराऊ में दिल्ली से मोपेड पर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ सिद्धार्थनगर जा रहे व्यक्ति की सिकंदराराऊ में अचानक तबीयत बिगड़ गई और मौत हो गई। मृतक कैंसर बीमारी से पीडि़त था। दिल्ली में उसका इलाज चल रहा था। सूचना देने के बावजूद पौन घंटे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची जबकि घटनास्थल पर सरकारी अस्पताल से महज एक किलोमीटर की दूरी पर था।

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दिल्ली में चल रहा था कैंसर का इलाज

विनोद तिवारी उम्र 45 वर्ष पुत्र राम मिलन तिवारी निवासी बांसी, सिद्धार्थ नगर दिल्ली से अपने परिवार के साथ पर सवार होकर अपने गांव जा रहा था। वह काफी समय से कैंसर से पीडि़त था। उसका दिल्ली में इलाज चल रहा था। एक बार सर्जरी भी हो चुकी थी। सिकंदराराऊ तक वह सही सलामत पहुंचा। नगर पालिका परिषद कार्यालय से कुछ कदम पहले। जीटी रोड पर अचानक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई। तबीयत बिगडऩे पर मोपेड खड़ी करने के लिए वह रुका और  बाइक खड़ी करते ही सड़क पर गिर पड़ा। मौके पर लोगों की भीड़ लग गई।

आधे घंटे तक नहीं पहुंची एंबुलेंस

स्थानीय लोगों ने एंबुलेंस को बुलाने के लिए कॉल की। लेकिन कॉल होने के बावजूद एंबुलेंस आधे घंटे तक नहीं पहुंची। इसके बाद मौके पर पहुंचे कोतवाल प्रवेश राणा ने एक लोडर वाहन में व्यक्ति को सीएचसी पहुंचाया जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

समय पर मदद न मिलने का आरोप

मृतक के भाई  श्याम सुंदर तिवारी ने आरोप लगाया की कई बार फोन करने पर भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी भी एम्बुलेंस का नम्बर लगाते रहे। कोतवाल प्रवेश राणा मौके पर पहुंचे और उन्होंने एक प्राइवेट वाहन में व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचवाया। इसमें काफी देर लग गई। तब तक मेरे भाई की मौत हो चुकी थी। अगर समय पर इलाज मिल गया होता तो मेरे भाई को बचाया जा सकता था।


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