हाथरस में नौकरी नहीं अब खेती से ऐसे किस्मत चमका रहे युवा
देश की सूरत बदल रही है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवा प्राइवेट नौकरियों को छोड़कर अब अपना कैरियर खेतीबाड़ी में बना रहे हैं।
हाथरस (कमल वाष्र्णेय)।
देश की सूरत बदल रही है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवा प्राइवेट नौकरियों में नहीं, बल्कि आधुनिक खेती, पशु पालन में किस्मत आजमा रहे हैं। हाथरस में भी ऐसे कई युवा सामने आए हैं, जो कि लाखों रुपये निवेश करके आधुनिक खेती में जुट गए हैं।
बागवानी में ऐसे लगा शौक
साकेत कॉलोनी की रहने वाली निधि शर्मा का घर से शुरू हुआ बागवानी का शौक अब खेती तक पहुंच गया है। पति अमित श्रोती के साथ उन्होंने पॉली हाउस खेती शुरू की है। हसायन के गांव नगला वीर सहाय में आठ हजार वर्ग मीटर में दो पॉलीहाउस का निर्माण कराया है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत निधि शर्मा ने दोनों में रंगीन शिमला मिर्च की खेती शुरू की है। एक पॉली हाउस का प्रोजेक्ट 39.64 लाख रुपये का है। 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में शिमला मिर्च के 3000 पौधे लगाए जाते हैं। इस हिसाब से दोनों पॉली हाउस में लगभग 24 हजार पौधे लगाए गए हैं। दो से तीन महीने में पहली फसल तैयार होती है। एक पॉलीहाउस में 32 से 35 टन की पैदावार है।
रंगीन शिमला मिर्च
पॉलीहाउस में उगाई जाने वाली सब्जियों में शिमला मिर्च पहले स्थान पर है। शिमला की प्रमुख तीन किस्म हैं- लाल, पीली व हरी। यहां तीनों किस्म उगाई जा रही हैं। नवंबर के आखिरी सप्ताह में पहला लॉट निकलेगा। शिमला मिर्च की मांग बड़े शहरों, होटलों एवं शादी समारोहों में रहती है। शिमला मिर्च का गुणवत्तायुक्त उत्पादन केवल पॉलीहाउस में ही संभव है। बाजार में रंगीन शिमला मिर्च की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है और निर्यात के क्षेत्र में भी इस की संभावनाएं असीमित हैं।
पानी की भी कर रहे बचत
उन्नतशील खेती के साथ निधि अपने पॉलीहाउस के जरिए जल संरक्षण का भी संदेश दे रही हैं। उन्होंने पॉली हाउस में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगवाया है। इससे बूंद-बूंद कर पाइपों के जरिए पानी पौधों तक पहुंचाया जाता है। इसके जरिए काफी हद तक पानी की बचत होती है। पॉली हाउस होने के पानी के वाष्पीकरण की भी ¨चता नहीं रहती।
और भी युवाओं ने शुरू किया काम
शहर के वरिष्ठ चिकित्सक मनोज शर्मा के बेटे अमन शर्मा भी चंदपा क्षेत्र में पॉली हाउस संचालित कर रहे हैं। अमन चार हजार वर्ग मीटर में खीरा, रंगीन शिमला मिर्च उगा रहे हैं। हाईवे से सटकर ही इनका पॉलीहाउस है। पुराना मिल कंपाउंड निवासी आयुष वाष्र्णेय जैविक खाद बना रहे हैं। गांव ¨चतापुर पर उनका फार्म है। जैविक खाद एक्सपोर्ट भी की जाती है। लेबर कॉलोनी के रहने वाले कन्हैया श्रोती गांव ऐहन में पॉलीहाउस खोलने जा रहे हैं। अमित ने बताया कि यहां पॉलीहाउस हब बनने जा रहा हैं। एक बार में यहां छह पॉलीहाउस खुलेंगे।