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कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को सहारा देगी सरकार, जानिए पूरा मामला Aligarh news

कोरोना महामारी ने तमाम परिवारों से उनकी खुशियाां छीन ली हैं। काफी बच्चे अनाथ हो गए हैं उनका कोई सहारा नहीं रहा। काफी बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता अस्पताल में भर्ती है और घर पर उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 05:52 AM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 06:30 AM (IST)
बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) की वेबसाइट www.cara.nic.in पर संपर्क करें।

अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना महामारी ने तमाम परिवारों से उनकी खुशियाां छीन ली हैं। काफी बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनका कोई सहारा नहीं रहा। काफी बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता अस्पताल में भर्ती है और घर पर उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं। ऐसे बच्चों को अब सरकार सहारा देगी। उनके जीवन में फिर से खुशियां लाने की पहल की गई है। समस्त जिलाधिकारियों को ऐसे सभी बच्चों को चिह्नित कर उनके पुनर्वास, खानपान व देखभाल की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।

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सभी जिलाधिकारियो को दिए गए निर्देश

प्रमुख सचिव (महिला एवं बाल विकास विभाग) वी. हेकाली झिमोमी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोविड-19 से प्रभावित/अनाथ हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों की तैयार कराई जाए, जिसे 15 मई तक निदेशक, महिला कल्याण और राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजा जाएगा, ताकि ऐसे बच्चों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके। सूची तैयार करने में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गठित निगरानी समितियों की मदद ली जा सकती है। ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में गठित ग्राम बाल संरक्षण समितियों से भी जानकारी जुटाई जा सकती है, जिसकी सदस्य सचिव आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होती है। विशेष किशोर पुलिस इकाई, चाइल्ड लाइन (1098) और जिला बाल संरक्षण इकाई भी ऐसे बच्चों के बारे में सूचनाएं मिलने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी या बाल कल्याण समिति को तत्काल मुहैया कराएंगी। सामाजिक कार्यकर्ता व एनजीओ की मदद भी ली सकती है। ऐसे बच्चों को 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 

बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया

यदि किसी नवजात को सड़क या किसी अन्य स्थान पर छोड़ दिया जाता है या परित्याग कर दिया जाता है अथवा कोविड के चलते माता-पिता की मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों को किसी को भी गोद दे देना, अपने पास रख लेना या उसकी देखरेख के लिए किसी तरह का विज्ञापन निकालना और बाल कल्याण समिति के संज्ञान में न लाना गैरकानूनी व दंडनीय अपराध है। बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) की वेबसाइट www.cara.nic.in पर संपर्क किया जा सकता है।


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