Ghaziabad Expressway : फास्टैग के बाद भी गभाना टोल पर वाहनों की कतार, जरूरी है इन समस्याओं का निदान Aligarh News
फास्टैग लागू हुए करीब एक साल हो गया लेकिन इसकी व्यवस्थाएं अब तक पूरी तरह पटरी पर नहीं आ सकी है। कभी सर्वर डाउन तो कभी स्कैनर से रीड न होने की दिक्कत वाहन चालकों की परेशानी का कारण बन जाता है।
By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 07:52 AM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 07:52 AM (IST)
अलीगढ़, विवेक शर्मा। अलीगढ़ -गाजियाबाद एक्सप्रेसवे के गभाना टोल प्लाजा से गुजरना आसान नहीं। फास्टैग के बाद भी यहां हर रोज वाहनों की कतार लगी रहती है। फास्टैग लागू हुए करीब एक साल हो गया, लेकिन इसकी व्यवस्थाएं अब तक पूरी तरह पटरी पर नहीं आ सकी है। कभी सर्वर डाउन तो कभी स्कैनर से रीड न होने की दिक्कत वाहन चालकों की परेशानी का कारण बन जाता है। कभी-कभी तो दस से पंद्रह मिनट तक का इंतजार करना पड़ता है। लगातार शिकायतों के बाद भी सुधार नजर नहीं आ रहा।
फास्टैग की चिप में आ रही नमी
टोल पर सात लाइन की व्यवस्था है। इनमें से छह फास्टैग के लिए हैैं। सातवीं लाइन टोकन से वाहनों के निकलने की है। हर रोज करीब साढ़े चौदह हजार वाहन निकल रहे हैैं। पिछले दो दिन में 30 हजार वाहन यहां से निकले हैैं। इसमें से चौबीस हजार वाहन फास्टैग से और छह हजार टोकन से निकले हैैं। टोल के रिकॉर्ड के अनुसार 70 फीसद से अधिक वाहन फास्टैग से निकल रहे हैैं। फिर भी यहां की प्रक्रिया की स्पीड फास्ट नहीं है। शनिवार को भी टोल पर दिनभर लंबी कतार लगी रही। हालांकि, टोल प्रबंधन का कहना है कि सर्दी में कोहरे व पाला पडऩे से फास्टैग की चिप में नमी आ रही है। ऐसे में टोल प्लाजा पर लगे फास्टैग स्कैनर वाहन पर लगे फास्टैग को रीड नहीं कर पाते हैं। मौजूद टोलकर्मी हैंड हैंडिल मशीन से वाहन पर लगे फास्टटैग को रीड करके उसे टोल से निकालते हैं। इस प्रक्रिया में 5 -10 मिनट का समय लग रहा है। ऐसे में पीछे खड़े अन्य वाहन चालकों को भी इंतजार करना पड़ रहा है। लंबे समय जाम में फंसा रहने के चलते मुसाफिर सरकार की फास्टैग की व्यवस्था को कोसते नजर आते हैं।
स्कैनर रीड नहीं कर पाता
कुछ गाडिय़ों पर गलत दिशा में फास्टैग लगा होने से स्कैनर ने रीड नहीं हो पाता है। इसके अलावा फास्टैग के स्क्रैच होने व धूल मिट्टी जमा हो जाने व खाते में बैलेंस कम होने के चलते स्कैनर रीड नहीं कर पाता है। इसके चलते समय लग जाता है।
इंद्रजीत चौधरी, मैनेजर, गभाना टोल
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