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गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे: प्रस्ताव बना सिक्सलेन का, पर नहीं शुरू हुआ काम, ये है वजह Aligarh News

सरकारी विभागों में किसी काम के लिए प्रस्ताव तो तुरंत बन जाता है मगर काम शुरू होने में वर्षों लग जाते हैं। प्रस्ताव की फाइल लखनऊ से लेकर दिल्ली तक घूमती रहती है। ऐसा ही गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे ( जीटी रोड) के साथ भी हो रहा है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 01:51 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 01:51 PM (IST)
सरकारी विभागों में किसी काम के लिए प्रस्ताव तो तुरंत बन जाता है।

अलीगढ़, जेएनएन। सरकारी विभागों में किसी काम के लिए प्रस्ताव तो तुरंत बन जाता है, मगर काम शुरू होने में वर्षों लग जाते हैं। प्रस्ताव की फाइल लखनऊ से लेकर दिल्ली तक घूमती रहती है। ऐसा ही गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे ( जीटी रोड) के साथ भी हो रहा है। हाईवे के सिक्सलेन के निर्माण का प्रस्ताव बन गया है, सर्वे भी हो गया है, मगर एक साल हो गया अभी काम शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में अलीगढ़ से दिल्ली तक के सफर में लोगों को जाम से जूझना पड़ता है।

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यह था प्रस्‍ताव

गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे का निर्माण 2014 में हुआ था। इसे फोरलेन बनाया गया था, जिससे अलीगढ़ के लोगों को दिल्ली जाना काफी आसान हो गया था। फोरलेन के चलते लोगों को जाम से निजात मिल गई थी, साथ ही सुविधाजनक तरीके से दिल्ली पहुंच जाते थे। इसलिए अधिकांश लोगों ने सड़क मार्ग से दिल्ली तक का सफर तय करना शुरू कर दिया था। इससे पहले जीटी रोड सिर्फ दो लेन थी। कानपुर से लेकर दिल्ली तक का सफर करना मुश्किल हो जाया करता था, वाहनों के दवाब के चलते इसपर अक्सर जाम लगा करता था। 10-10 घंटे तक लोग जाम में परेशान होते रहते थे। अब कुछ वर्षों से गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर वाहनों की संख्या फिर बढ़ने लगी है। इससे गाजियाबाद से पहले लाेगों को जाम से जूझना पड़ता है। एनएचएआई ने इसे देखते हुए सिक्सलेन की तैयारी की थी। इसका सर्वे भी हो गया है। हाईवे के किनारे कहां-कहां भूमि अधिग्रहित होगी यह भी चिंहित हो गई है। हालांकेि, एनएचएआई का कहना है कि हाईवे के निर्माण के समय सिक्सलेन जगह छोड़ी गई थी। इसलिए काफी कम स्थानों पर ही भूमि अधिग्रहण की जरूरत होगी। बाकी अधिकांश स्थानों पर एनएचएआई के पास जमीन है।

पौधों पर चलेगी आरी

हाईवे के निर्माण में पौधों पर आरी भी चलेगी। गाजियाबाद से लेकर अलीगढ़ तक सैकड़ों पौधे काटे जाएंगे। इसका भी सर्वे हो गया है। ये पौधे चार-पांच वर्ष पहले ही लगे थे, अब हारी चलने से यह बड़े होने से पहले कट जाएंगे। सवाल उठता है कि जब पौधों को काटना था, सिक्सलेन का पहले से प्लान था तो इतनी नजदीक्र पौधे क्यों लगाए गए, जिन्हें काटने के लिए विवश होना पड़ रहा है। इससे साफ पता चलता है कि सरकारी विभागों में ग्राउंड लेबल तक जाकर कार्य नहीं किया जाता है, इसलिए अधिकांशत: इस तरह की दिक्कत होती है। ऐसे में विभाग को आगामी योजना बनाकर चलना चाहिए, जिससे सरकारी पैसों की बर्बादी न हो। बहरहाल, सिक्सलेन का काम कबतक शुरू होगा यह देखना होगा। क्योंकि एनएचएआई काम सिर्फ शुरू कराने का आश्वासन तो देती है, मगर काम शुरू नहीं हुआ।


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