गांधी जी ने अहिंसा का सारतत्व गीत और दूसरे धार्मिक ग्रंथों में खोजा : प्रो देश पांडे Aligarh news
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रो. माधव देश पांडे ने एएमयू की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में महात्मा गांधी का अहिंसा का पाठ सभी धर्मो का अभिन्न अंग है।
अलीगढ़ [जेएनएन]। महात्मा गांधी का अहिंसा का पाठ सभी धर्मो का अभिन्न अंग है। उन्होंने इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। यह बात अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रो. माधव देश पांडे ने एएमयू की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में कही। ऑनलाइन व्याख्यान का विषय महात्मा गांधी भागवत गीता और सभी धर्मो पर उनका बोध था। केंद्रीय वक्तय में प्रो. देश पांडे ने कहा कि सभी धर्मो के विभिन्न धर्म ग्रंथों ने गांधी जी के चरित्र का निर्धारण किया व उनके जीवन को गहनता से और स्थायी रूप से परिवर्तित किया। धर्म ग्रंथों के अध्ययन का क्रम भगवत गीता से आरंभ हुआ, जो उनके लिए शक्ति और सांत्वना का अचूक स्रोत बन गया। उनके इस पुस्तक तक पहुंचने की यह एक दिलचस्प कहानी है।
धर्म ग्रंथों का किया अध्ययन
प्रोफेसर देश पांडे ने बताया कि गांधी जी के ब्रहमविद्यावादी मित्र आॅलकोट बंधु गीता के मूल संस्कृत पाठ का एडमिन आर्नल्ड के अंग्रेजी अनुवाद सहित अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने यह सोचते हुए गांधी जी को आमंत्रित किया कि भारतीय होने के नाते वह संभवतः संस्कृत को भलीभांति जानते होंगे। उन्होंने गांजी जी से कुछ संस्कृत शब्दों के अर्थ के बारे में परामर्श किया। किन्तु वे मदद नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में स्वीकार किया है कि उन्हें बेहद शर्मिदगी हुई। गांधी जी ने अपनी शर्मिदगी को सशक्त प्रेरणा में और न केवल संस्कृत में गीता बल्कि बाईबिल, कुरान आदि संस्करण के बड़े धर्मो के धर्म ग्रंथों का भी अध्ययन किया।प्रोफेसर देश पांडे ने विस्तार से बताया कि गांधी जी ने अहिंसा का सारतत्व गीत और दूसरे धार्मिक ग्रंथों में खोजा और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सभी धर्म सीधे रास्ते की ओर ले जाते हैं। यहां तक कि गांधी जी की सामुदायिक प्रार्थनाओं में विभिन्न आस्थाओं की धार्मिक पुस्तकों के छंदों का पाठ किया जाता था। उन्होंने कहा कि गांधी जी इन विचार सरर्णियों पर निर्भीकतापूर्वक डटे रहे और संसार भर की अनेक पीढ़ियों को प्रेरित किया। उनके विचार और चिंतन केवल भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के केन्द्र में ही नहीं रहे बल्कि विभिन्न देशों की दमनकारी सत्ताओं के विरूद्ध नागरिक अधिकारों के आंदोलनों की आधारशिला बने।
धर्म के आधार पर देश का विभाजन
एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि गांधी जी ने राजनीति में धर्म का सवावेश सदइच्छा से किया था। उन्होंने खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया और वो धर्म के आधार पर देश के विभाजन को टालना चाहते थे। प्रोफेसर एमजे वारसी ने बताया कि प्रोफेसर देश पांडे के शोध कार्य के विषय संस्कृत व्याकरण, परंपरा, भारतीय आर्य भाषाओं का ऐतिहासिक और समाज, शास्त्रीय भाषा वैज्ञानिक अध्ययन व भारत की धार्मिक और दार्शनिक परम्पराएं हैं।