हाथी के ही साथी रहेंगे पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय, सपा को मिली राहत
जिसके सहारे पूरे सूबे में पहचान बनाई उसे छोड़कर पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय कहीं नहीं जाएंगे। वे हाथी के ही साथी रहेंगे। उन्होंने इसकी घोषणा कर भाजपा में जाने की सारी अटकलों पर विराम लग गया।
By Edited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:18 AM (IST)
हाथरस (जेएनएन)। जिसके सहारे पूरे सूबे में पहचान बनाई, उसे छोड़कर पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय कहीं नहीं जाएंगे। वे हाथी के ही साथी रहेंगे। उन्होंने शनिवार को इसकी घोषणा कर भाजपा में जाने की सारी अटकलों पर विराम लग गया। उनके इस कदम से बेचैन हो रही सपा ने भी राहत महसूस की है।
चर्चाओं को दिया विराम
नौ मार्च को सीमा उपाध्याय के फतेहपुर सीकरी सीट छोडऩे के बाद से ही रामवीर उपाध्याय के भाजपा में जाने की चर्चाएं जोर पकडऩे लगीं। बात तो यहां तक पहुंच गई कि वह दिल्ली संघ कार्यालय तक घूम आए हैैं लेकिन इसका कोई सुबूत नहीं दे सका। परंतु इससे बसपा के साथ ही सपा नेताओं की चिंता बढ़ गई। क्योंकि, उपाध्याय की ब्रज क्षेत्र में अच्छी पकड मानी जाती है, जिसका लाभ हाथरस लोक सभा क्षेत्र के सपा प्रत्याशी को मिलने की उम्मीद शुरू से ही है। इस उम्मीद को पार्टी बदलने की चर्चाओं से झटका लग रहा था।
भाजपाइयों को हो रही थी टेंशन
अलीगढ़ सीट पर भाजपा के दावेदार की टेंशन भी कम नहीं थी। उन्हें एक नया दावेदार होने का खतरा परेशान कर रहा था। शनिवार को उपाध्याय की प्रेसवार्ता के बाद सब कुछ साफ हो गया। उन्होंने भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि बसपा का सच्चा सिपाही हूं। भाजपा में नहीं जाऊंगा। उन्होंने 23 साल से बसपा से रिश्ते बताए। कहा, 1996 में पहली बार बसपा से टिकट मांगने के लिए मायावती के पास गया था। बहन जी ने ही मेरे और मेरी पत्नी सीमा के टिकट के बारे में निर्णय लिया। सीमा को फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ाने का फैसला भी बहनजी का था।
स्वास्थ्य कारणों से सीमा ने नहीं लड़ा चुनाव
परिवारिक और स्वास्थ्य कारणों से फतेहपुर सीकरी से सीमा ने चुनाव न लडऩे का अनुरोध बहनजी से किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। सोशल मीडिया पर विरोधी नेताओं से मिलने की खबरों को भी उन्होंने भ्रामक बताया।
चुनाव लड़ूंगा नहीं, लड़वाऊंगा
बसपा के दिग्गज नेता रामवीर उपाध्याय ने कहा कि वे चुनाव लड़ेंगे नहीं, लड़वाएंगे। इस बार गठबंधन के प्रत्याशी रामजीलाल सुमन को निष्ठा से चुनाव लड़ाया जाएगा। फिर भी अगर बहन जी का आदेश हुआ तो वह जहां से कहेंगी, वहीं से चुनाव लड़ेंगे। रामवीर रविवार को सासनी में होने वाले गठबंधन के कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होंगे।
चर्चाओं को दिया विराम
नौ मार्च को सीमा उपाध्याय के फतेहपुर सीकरी सीट छोडऩे के बाद से ही रामवीर उपाध्याय के भाजपा में जाने की चर्चाएं जोर पकडऩे लगीं। बात तो यहां तक पहुंच गई कि वह दिल्ली संघ कार्यालय तक घूम आए हैैं लेकिन इसका कोई सुबूत नहीं दे सका। परंतु इससे बसपा के साथ ही सपा नेताओं की चिंता बढ़ गई। क्योंकि, उपाध्याय की ब्रज क्षेत्र में अच्छी पकड मानी जाती है, जिसका लाभ हाथरस लोक सभा क्षेत्र के सपा प्रत्याशी को मिलने की उम्मीद शुरू से ही है। इस उम्मीद को पार्टी बदलने की चर्चाओं से झटका लग रहा था।
भाजपाइयों को हो रही थी टेंशन
अलीगढ़ सीट पर भाजपा के दावेदार की टेंशन भी कम नहीं थी। उन्हें एक नया दावेदार होने का खतरा परेशान कर रहा था। शनिवार को उपाध्याय की प्रेसवार्ता के बाद सब कुछ साफ हो गया। उन्होंने भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि बसपा का सच्चा सिपाही हूं। भाजपा में नहीं जाऊंगा। उन्होंने 23 साल से बसपा से रिश्ते बताए। कहा, 1996 में पहली बार बसपा से टिकट मांगने के लिए मायावती के पास गया था। बहन जी ने ही मेरे और मेरी पत्नी सीमा के टिकट के बारे में निर्णय लिया। सीमा को फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ाने का फैसला भी बहनजी का था।
स्वास्थ्य कारणों से सीमा ने नहीं लड़ा चुनाव
परिवारिक और स्वास्थ्य कारणों से फतेहपुर सीकरी से सीमा ने चुनाव न लडऩे का अनुरोध बहनजी से किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। सोशल मीडिया पर विरोधी नेताओं से मिलने की खबरों को भी उन्होंने भ्रामक बताया।
चुनाव लड़ूंगा नहीं, लड़वाऊंगा
बसपा के दिग्गज नेता रामवीर उपाध्याय ने कहा कि वे चुनाव लड़ेंगे नहीं, लड़वाएंगे। इस बार गठबंधन के प्रत्याशी रामजीलाल सुमन को निष्ठा से चुनाव लड़ाया जाएगा। फिर भी अगर बहन जी का आदेश हुआ तो वह जहां से कहेंगी, वहीं से चुनाव लड़ेंगे। रामवीर रविवार को सासनी में होने वाले गठबंधन के कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होंगे।
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