काले हिरणों के आएंगे अच्छे दिन
---नेशनल वाइल्ड लाइफ डे--- - पला सल्लू संरक्षण केंद्र का 14-50 लाख से होगा जीर्णोद्धार - वन विभा
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ :
सुगठित देह के लिए विश्व विख्यात और दुर्लभ प्रजाति के काले हिरण के विलुप्त होने की फिक्र से जूझ रहे पर्यावरण प्रेमियों के लिए सुकून भरी खबर है। पला सल्लू संरक्षण केंद्र में काले हिरणों का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है। इंसानी प्यार पाकर ये हिरण अब संरक्षित वन क्षेत्र से बाहर के इलाकों में भी कुलांचे भर रहे हैं। बरौली विधायक ठा.दलवीर सिंह की पहल के बाद काले हिरणों के अच्छे दिन आने की उम्मीद है। वन विभाग ने केंद्र का जीर्णोद्धार करने के लिए 14.50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा है। धनराशि मिलते ही काम शुरू हो जाएगा।
घटती-बढ़ती रही संख्या : अलीगढ़ जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर गभाना क्षेत्र के पल्ला सल्लू में 63 हेक्टेअर में काला हिरण संरक्षण केंद्र है। 2003-04 में इसकी स्थापना हुई। तमाम इंतजाम के लिए तीन साल तो बजट मिला। फिर सरकार ने मुंह मोड़ लिया। काले हिरण की सींग, खाल व मास की जबर्दस्त माग के चलते शिकारियों ने हिरणों पर खूब कहर बरपाया। तारबंदी न होने से कुछ हिरण सड़कों पर आकर हादसे के शिकार हुए। कुछ सालों बाद ही हिरण विलुप्त होते चले गए। स्थापना के समय जहां क्षेत्र में 11 काले हिरण गिने गए। वहीं, वर्ष 2011 में इनकी संख्या घटकर मात्र 146 रह गई। हायतौबा मचने पर इनके संरक्षण की फिर से कवायद हुई। शिकारियों पर अंकुश लगा। खुद ग्रामीणों ने आगे आकर इसके लिए पहल की। नतीजतन, 2013 में यह संख्या 235 व 2015 में 300 तक पहुंच गई। वर्तमान में यहां 350 काले हिरण होने का दावा अधिकारी कर रहे हैं।
होगी बाउंड्रीवॉल, बनेंगे वाटर हॉल : काले हिरणों का कुनबा बढ़ने व आबादी तक पहुंचने के बाद फिर से इनके संरक्षण की कवायद हो रही है। बरौली विधायक ने शासन तक इनके संरक्षण को लेकर पत्र भेजे हैं। शासन से निर्देश मिलने के बाद विभाग ने पिछले दिनों 14.50 लाख का प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा है। इसके तहत संरक्षित क्षेत्र में बाहरी प्रवेश रोकने व काले हिरणों को बाहर जाने से रोकने के लिए चारों तरफ बाउंड्री वॉल व तारबंदी होगी। काले हिरणों की प्यास बुझाने के लिए पानी की हौद बनेंगी। उन्हें हरा-भरा माहौल देने के लिए पौधरोपण भी किया जाएगा।
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वर्जन..
काले हिरणों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। शिकारियों पर पूरी तरह अंकुश है। शासन को प्रोजेक्ट बनाकर भेज दिया गया है। अब बजट मिलने का इंतजार है।
- श्रीधर त्रिपाठी, डीएफओ।