Food stocks still outcry: योजनाएं हजार, फिर भी हर रात सोते हैं भूखे Aligarh News
देश में हजारों लोगों को दो जून की रोटी उपलब्ध नहीं । ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़े बताते हैैं कि भारत में भूख का भयंकर संकट है। इस इंडेक्स में हम 16 उन शीर्ष देशोंं में शामिल हैैं
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ : अन्न ब्रह्मï है। भारतीय मान्यताओंं में अन्न देव की पूजा होती है। वहीं स्याह पक्ष यह है कि देश में हर साल 6.7 करोड़ टन अनाज बर्बादी की भेंट चढ़ जाता है। कहीं यह गोदामों में सड़ता है, तो कहीं थाली से नाली की भेंट चढ़ता है। इसका नतीजा यह है कि देश में हजारों लोगों को दो जून की रोटी उपलब्ध नहीं । ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़े बताते हैैं कि भारत में भूख का भयंकर संकट है। इस इंडेक्स में हम 16 उन शीर्ष देशोंं में शामिल हैैं, जहां भूख की स्थिति भयावह है। पड़ोसियों से तुलना करेंं तो हम पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह भी लोगों का पेट नहीं भर पा रहे। बच्चों में कुपोषण बड़ा खतरा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम व महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (मनरेगा) जैसी योजनाएं भी सबका पेट भरने में असफल सिद्ध हो रही हैैं। दैनिक जागरण ने इन व्यवस्थाओं में सुधार लाने व खाने की बर्बादी रोकने को जनजागरूकता लाने के लिए 'अन्न का भंडार फिर भी हाहाकार' अभियान शुरू कर रहा है। इसका मकसद व्यवस्था के गतिरोधों को दूर कर अन्न की बर्बादी के प्रति जनजागरूकता पैदा करना है, वहीं एक नई कोशिश है कि हर भूखे तक खाना पहुंचे। पेश है इस पर रिपोर्ट:
यह है हालात
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार भारत में कम वजन वाले बच्चों की संख्या बहुत अधिक है। दुनिया के 40 फीसद बच्चे हमारे देश में ही हैैं। अलीगढ़ जिले के आंकड़ों को देखें तो जिले में 50 हजार कुपोषित बच्चे हैैं, इसकी वजह है कि उन्हें संतुलित आहार नहीं मिल पाता। भूखे पेट सोने के आंकड़ों को खुद आपूर्ति विभाग का सर्वे भी सही बताता है। सितंबर-अक्टूबर 2019 में जिलेभर में सर्वे हुआ था। इसमें करीब तीन हजार परिवार ऐसे मिले, जिनके पास पात्र होने के बाद भी राशन कार्ड नहीं थे। कार्ड बनने पर इन्हें सस्ता राशन मिलना शुरू हुआ। अभी भी सैकड़ों परिवार राशन कार्ड से वंचित हैं, इन्हें भी सस्ता अनाज उपलब्ध कराने के लिए फिर से सर्वे कराया जा रहा है। हजारों लोग ऐसे भी हैैं, जिनके पास कार्ड हैैं, मगर राशन नहीं मिल रहा। इसकी वजह राशन वितरण की प्रणाली है। बायोमैट्रिक में उनकी उंगली का मिलान नहीं होता और राशन दुकानदार बहाना लेकर उन्हें अनाज नहीं देेते।
जिले के महत्वपूर्ण तथ्य
कुल राशनकार्ड धारक, 6,50,762
अंत्योदय कार्ड, 24,596
पात्र गृहस्थी, 6,26,166
हर माह 12752 टन राशन का आवंटन
आपूर्ति विभाग पात्र गृहस्थी कार्ड को पांच किलो प्रति यूनिट राशन देता है। इसमें दो किलो चावल व तीन किलो गेहूं होते हैं। अंत्योदय कार्ड धारक को एकमुश्त 35 किलो राशन मिलता है। इसमें 20 किलो गेहूं व 15 किलो चावल होते हैं। सभी कार्डधारकों के लिए कीमत दो रुपये प्रति किलो गेहूं व तीन रुपये प्रति किलो चावल होती है। जिले में हर माह 12752 मीट्रिक टन राशन आवंटित होता है। इसमें 7650 टन गेहूं व 5102 टन चावल होता है।
राशन कार्ड बनवाएंगे
डीएसओ चमन शर्मा का कहना है कि जिले में कोई भी भूखा न सोए, इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की भी है। अभियान चलाकर सभी के राशन कार्ड बनवाएंगे। पारदर्शिता से राशन का वितरण हो रहा है।