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अलीगढ़ में कलेक्ट्रेट पहुंचकर किसानों ने दी आत्महत्या की धमकी, जानिये आखिर हुआ क्या...

43 साल पहले हुए पïट्टे की जमीन को वन विभाग द्वारा लेने का आरोप लगाते हुए किसान भड़क गए और आत्महत्या की धमकी दे रहे हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 01:15 AM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 12:28 PM (IST)
अलीगढ़ में कलेक्ट्रेट पहुंचकर किसानों ने दी आत्महत्या की धमकी, जानिये आखिर हुआ क्या...
अलीगढ़ में कलेक्ट्रेट पहुंचकर किसानों ने दी आत्महत्या की धमकी, जानिये आखिर हुआ क्या...

अलीगढ़ (जेएनएन)।  ब्लॉक अकराबाद के गांव इरखिनी मंडनपुर में 43 साल पहले हुए पïट्टे की जमीन को वन विभाग द्वारा लेने का आरोप लगाते हुए किसान भड़क गए और आत्महत्या की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने डीएम के नाम ज्ञापन में न्याय दिलाने और दोषी तहसील व वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रशासन का कहना है कि यह जमीन पहले से ही वन विभाग की है। उसका कोई आवंटन नहीं हो सकता। जमीन 1450 बीघा बताई जा रही है।

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नसबंदी कराने पर आवंटित की गई थी भूमि

किसानों ने बताया कि गांव इरखिनी मंडनपुर में 1975, 1985 व 1993 में उन परिवारों के लिए भूमि आवंटित की गई थी जिनके परिवार में महिलाओं ने नसबंदी कराई थी, परिवार भूमिहीन थे। यह भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज थी। किसानों ने उपजाऊ बनाया, आज भी गेहूं की फसल खड़ी है। किसानों का आरोप है कि वन विभाग, प्रशासन व पुलिस वाले जमीन को जबरन जुतवा रहे हैं।

खतौनी व बैनामे हैं मौजूद

किसानों का कहना है कि उनके पास भूमि स्वामित्व के रूप में खतौनी व बैनामे मौजूद हैं। प्रशासन व वन विभाग उन्हें फर्जी दस्तावेज बताकर जेल भेजने की धमकी दे रहा है। किसानों की सुने बिना इस जमीन को वन विभाग में दर्ज किया गया है। कहा, जमीन से ही परिवार पल रहे हैं। जमीन छिनने पर हम आत्महत्या करने को मजबूर होंगे। मांग करने वालों में हरमुख राम यादव, गोपाल दत्त, प्रेमशंकर, साहब सिंह, अंगद सिंह, शब्बीर खां, गोपाल सिंह, देवेंद्र कुमार आदि थे।

वन विभाग की है जमीन ः एसडीएम

एसडीएम जोगेंद्र सिंह ने बताया कि यह जमीन वन विभाग के लिए आवंटित की गई थी। उसका कोई आवंटन नहीं हो सकता। विभागीय सांठगांठ के चलते किसान जमीन को जोतते रहे। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत के बाद जांच की तो शिकायत सही पाई गई। यदि किसानों के पास कोई दस्तावेज हैं तो दिखाएं।


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