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किसानों ने गोमूत्र, नीम की पत्‍ती व लहसुन को मिलाकर बना जैविक कीटनाशक, जानिए पूरा मामला Aligarh news

आज के दौर में शुद्ध चीजें मिलनी सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। हर चीजों में मिलावट है। यहां तक की खेती भी इससे अछूती नहीं है। फसलों में भी कीटनाशक दवाएं और रासायनिक खाद अंधाधुंध मिलाया जा रहा है जिससे पैदा अनाज सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 09:19 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 09:21 AM (IST)
किसानों ने गोमूत्र, नीम की पत्‍ती व लहसुन को मिलाकर बना जैविक कीटनाशक, जानिए पूरा मामला Aligarh news
ग्रामीणों को नीम कीट नियंत्रक बनाने की विधि बताते किसान।

अलीगढ़, जेएनएन ।  आज के दौर में शुद्ध चीजें मिलनी सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। हर चीजों में मिलावट है। यहां तक की खेती भी इससे अछूती नहीं है। फसलों में भी कीटनाशक दवाएं और रासायनिक खाद अंधाधुंध मिलाया जा रहा है, जिससे पैदा अनाज सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। इसे देखते हुए तीन किसानों ने नीम कीट नियंत्रक का बनाया, जो पूरी तरह से देसी पद्धति पर है। इसे गोमूत्र, नीम की पत्ती और लहसुन मिलाकर बनाया जाता है। जैविक कीट नियंत्रक इनता मारक है कि छिड़काव करते ही कीट भाग जाते हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह फसल, खेत की मिट्टी किसी के लिए हानिकारक नहीं है। इससे पैदा हुआ अनाज सेहत के लिए काफी अच्छा होता है।

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देसी दवा बनाने का लिया प्रशिक्षण

टीकरी गांव निवासी दिनेश सिंह किसान हैं। वो बताते हैं कि तीन साल पहले वो अपने खेत में गए तो तमाम कीट-पतंगे मरे हुए थे। पता चला कि दो दिन पहले कीटनाशक दवा का छिड़काव करने से यह स्थिति हुई है। उन्होंने सोचा जब कीटनाशक दवा से कीट-पतंगे आदि मर सकते हैं तो यह मनुष्य के सेहत पर कितना घातक प्रभाव डालता होगा। उसी के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वह जैविक खेती करेंगे। खेतों में कीटनाशक की जगह जैविक कीट नियंत्रक दवा का छिड़काव करेंगे। दिनेश सिंह ने भदरोई के किसान अशोक कुमार और ईशेपुर निवासी प्रशांत शर्मा के साथ लिया। ब्रज किसान एफपीओ के अंतर्गत संतोष सिंह से देसी दवा बनाने का उन्होंने प्रशिक्षण लिया।

बहुत आसान है प्रक्रिया

दिनेश सिंह बताते हैं कि जैविक कीट नियंत्रक बेहद आसान है पर हम लोग कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के आदि हो गए हैं, इसलिए थोड़ी सी भी मेहनत नहीं करना चाहते हैं। इसे बनाने के लिए गोमूत्र, लहसुन और नीम की पत्ती लेनी होती है। मिट्टी के बर्तन में रखकर इसका अर्क तैयार करते हैं। यह करीब 21 दिन में तैयार होता है। इसके बाद इसे लोहे की कढ़ाई में रखकर गर्म करते हैं। जब यह चार लीटर में से एक लीटर बचता है तो उसे ठंडा कर रख लेते हैं। फिर 100 लीटर पानी में एक लीटर तैयार की दवा मिलाकर उसे तैयार कर लेते हैं। इसे मशीन के माध्यम से खेतों में छिडकाव कर देते हैं।

आ रहा है अच्छा परिणाम

किसान अशोक कुमार बताते हैं कि नीम कीट नियंत्रक के परिणाम आश्चर्यजनक तरीके से आ रहे हैं। इसको फसलों पर छिड़काव करने से कीट भाग जाते हैं। खासकर मक्का, ज्वार आदि के लिए तो यह काफी फायदेमंद हैं। इसके छिड़काव से फसल और मिट्टी की सेहत पर तनिक भी प्रभाव नहीं बढ़ता है। अनाज भी सेहतमंद होता है। जबकि बाजार में मिलने वाली कीटनाशक दवा बेहद घातक होती है, वह कीट-पतंगों को समाप्त करती है, मनुष्य के सेहत पर भी गलत प्रभाव डालती है। प्रशांत शर्मा ने बताया कि वह कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक किसान नीम कीट नियंत्रक का प्रयोग करें। इसके लिए गांव-गांव जाकर प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।


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