अपराधिक वारदातों के खुलासे को मिलेंगे वैज्ञानिक साक्ष्य, अलीगढ़ में बन रही ऐसी फोरेंसिक लैब
जीटी रोड स्थित बौनेर पर पीएसी की 45 वीं वाहिनी में अलीगढ़ मंडल की पहले विधि विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक लैब) बन रही है। तीन मंजिला इस लैब के लिए प्रदेश सरकार ने 24 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।
अलीगढ़ (लोकेश शर्मा)। जीटी रोड स्थित बौनेर पर पीएसी की 45 वीं वाहिनी में अलीगढ़ मंडल की पहले विधि विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक लैब) बन रही है। तीन मंजिला इस लैब के लिए प्रदेश सरकार ने 24 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। पहली किश्त में साढ़े नौ करोड़ रुपये रिलीज हुए थे, अब बाकी रकम भी जारी कर दी गई हैं। इस लैब का लाभ अलीगढ़ के अलावा हाथरस, कासगंज, एटा की पुलिस को भी मिलेगा।
नए साल में प्रदेश सरकार का ये उपहार पुलिस की भागदौड़ तो बचाएगा ही, अपराध व अपराधियों के वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाकर त्वरित कार्रवाई में पुलिस का सहयोग भी करेगा।
आगरा लैब पर निर्भर पुलिस
पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता बढ़ाने और वैज्ञानिक साक्ष्यों जुटाने के लिए फोरेंसिक लैब महत्वपूर्ण योगदान रहता है। दरअसल, मौजूदा दौर में अपराध करने की नई तकनीक इस्तेमाल की जा रही हैं। अपराधियों के प्रयास होते हैं कि वारदात के बाद मौके पर ऐसा कोई भी सबूत पुलिस को न मिले, जिससे उनका सुराग लग सके। संगीन मामलों की विवेचना में पुलिस की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। कभी-कभी तो पुलिस को जनाक्रोश भी झेलना पड़ जाता है। ऐसी ही विकट परिस्थितियों में वैज्ञानिक तरीकों से जुटाए साक्ष्य निश्चित रूप से पुलिस को अपराधियों तक पहुंचने में सफलता देते हैं, अपराधियों को चिह्नित कर उन्हें सजा दिलाने में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। ऐसा तभी संभव है, जब साक्ष्य जुटाने के बाद समय पर रिपोर्ट भी आए। अलीगढ़ में फोरेंसिक लैब न होने से पुलिस आगरा स्थित लैब पर निर्भर है।
'सी' ग्रेड की लैब
वर्तमान में लखनऊ, आगरा और वाराणसी में फोरेंसिक लैब हैं। अलीगढ़ को 'सी' ग्रेड की लैब बनेगी। शासन की घोषणा के मुताबिक कन्नौज, गाजियाबाद में 'ए' श्रेणी, झांसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, आजमगढ़ में 'बी' श्रेणी और फैजाबाद, देवीपाटन, अलीगढ़, गोंडा, बस्ती, चित्रकूट धाम, बांदा, मिर्जापुर, बरेली, सहारनपुर में 'सी' श्रेणी की लैब खोलना प्रस्तावित है।
मोबाइल फोरेंसिक वैन
साक्ष्यों को त्वरित व सुरक्षित ढंग से एकत्र किए जाने के लिए जिला पुलिस को शासन स्तर से मोबाइल फोरेंसिक वैन पहले ही उपलब्ध हो चुकी है। इस वैन में रक्त, वीर्य, विस्फोटक, नारकोटिक्स, आग्नेयास्त्र, माइक्रो केमिकल के अलावा बायलॉजी, सिरोलॉजी, रसायन, विस्फोटक आदि से संबंधित प्रारंभिक परीक्षणों की सुविधा उपलब्ध है।
कम होंगी दिक्कतें
एसएसपी अजय साहनी का कहना है कि फोरेंसिक लैब न होने से वैज्ञानिक साक्ष्य जांच के लिए अन्य जिलों में भेजे जाते हैं, अक्सर रिपोर्ट समय से नहीं आ पाती। जिससे विवेचना में अड़चन आती है। लैब खुलने से ये दिक्कतें कम होंगी।