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जोखिम में हर 10वीं गर्भवती महिला की जान, जानें पूरे मामला Aligarh news

जन्म के बाद नवजात बच्चे को बाहों में पाकर मां की खुशी का ठिकाना नहीं होता। उसकी आंखों की चमक कोई भी महसूस कर सकता है। यह खुशी पाने का अधिकर हर मां को है। लेकिन कई गर्भवतियों के जीवन में यह पल कभी नहीं आता।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 10:43 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 10:44 AM (IST)
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो हर 10वीं या 11 वीं गर्भवती महिला उच्च जोखिम में होती है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। जन्म के बाद नवजात बच्चे को बाहों में पाकर मां की खुशी का ठिकाना नहीं होता। उसकी आंखों की चमक कोई भी महसूस कर सकता है। यह खुशी पाने का अधिकर हर मां को है। लेकिन, कई गर्भवतियों के जीवन में यह पल कभी नहीं आता। बल्कि, उनके जीवन में प्रसव का क्षण बेहद भयावह होता है। जनपद में ही स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो हर 10वीं या 11 वीं गर्भवती महिला उच्च जोखिम में होती है। हालांकि, नियोजित गर्भावस्था व उसका ख्याल रखकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है।

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प्रधानमंत्री सुरक्षति मातृत्‍व अभियान

जिले में पिछले दिनों प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए शिविर आयोजित किए। इस दौरान 1115 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गई। चिंता की बात ये है कि 104 जोखिम वाली गर्भवती महिलाएं पाई गईं। वहीं, 17 उच्च जोखिम वाली पाई गईं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आनंद उपाध्याय ने बताया कि इन शिविरों का उद्देश्य ही ऐसे महिलाओं की पहचान करना था, ताकि समय से उच्च अस्पताल में संदर्भन कर जोखिम को कम किया जा सके। वर्तमान में अधिक से अधिक गर्भवती की जांच कर उच्च खतरे वाली गर्भावस्था की पहचान की जरूरत है। इससे भविष्य में उन्हें किसी अनहोनी से बचाया जा सकेगा।

ये हैं उच्च जोखिम के कारण

महिला अस्पताल की सीएमएस डा. रेनू शर्मा ने बताया कि सभी महिलाओं को गर्भावस्था में प्रसव पूर्व देखभाल,प्रसव के दौरान कुशल देखभाल और प्रसव के बाद के कई सप्ताह तक देखभाल और सहायता तक पहुंच की आवश्यकता होती है। सभी प्रसवों में कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा सहायता मिलनी चाहिए, क्योंकि समय पर प्रबंधन और उपचार मिलना मां और बच्चे के लिए जरूरी है। लेकिन, जागरूकता के अभाव में तमाम गर्भवती, प्रसव पूर्व की जांच तक नहीं कराती हैं। ऐसे में पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें क्या परेशानी है। उच्च जोखिम के कई कारण हो सकते हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान खून या अन्य पोषक तत्वों की कमी, हाइपरटेंशन, शुगर, एचआइवी, गर्भ में जुड़वा बच्चे होना, पिछला प्रसव सिजेरियन होना या गर्भपात होना, कम या ज्यादा उम्र में गर्भधारण होना आदि।

ऐसे कम होगा जोखिम

स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत डा. पूनम शर्मा (नर्स मेंटर) ने बताया कि गर्भवती को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आम दिनों की अपेक्षा रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। घर पर रहकर अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखें। खाने-पीने का विशेष ध्यान दें। व्यायाम करें और डाक्टर से संपर्क करती रहें। समय-समय पर अपनी जांच कराती रहे। सबसे जरूरी ये है कि अस्पताल में ही प्रसव कराएं। यदि गांव की दाई से प्रसव करा रहे हैं और बच्चा पैदा होने में दिक्कत हो तो तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें।


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