बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन केंद्रों पर हंगामा, शिक्षकों ने ताला लगाया, अधिकारियों ने तोड़ा
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : यूपी बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन जिले में आज से शायद ही शुरू हो सके।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : यूपी बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन कार्य हंगामे के बीच शुरू हुआ। वित्तविहीन शिक्षकों ने विरोध करते मूल्यांकन केंद्र के गेट पर ताला लगा दिया, जिसे अधिकारियों ने तोड़ दिया और ड्यूटी पर आए शिक्षकों के साथ मीटिंग की।
डीआईओएस ऑफिस से नौरंगीलाल इंटर कॉलेज को जाने वाले छोटे गेट पर वित्तविहीन शिक्षकों ने ताला डाल दिया था, जिसको एडीआईओएस लक्ष्मी कात पाडे ने तोड़कर कॉलेज में किया प्रवेश। वित्तविहीन शिक्षक महासभा के पदाधिकारी सुबह नौ बजे ही नौरंगी लाल इंटर कॉलेज पहुंच गए और मुख्य गेट पर ताला लगा दिया। गेट पर किया प्रदर्शन भी किया। मूल्यांकन कार्य का विरोध वित्तविहीन शिक्षकों ने शुक्रवार से ही शुरू कर दिया था। उन्होंने मूल्यांकन ड्यूटी के पैकेट रिसीव नहीं किए थे। कुल 661 पैकेट भेजे गए थे, जिनमें 361 विभाग में ही हैं। वित्तविहीन शिक्षक महासभा के प्रदेश महामंत्री नीरज शर्मा ने कहा कि सैकड़ों की तादाद में शिक्षक हर केंद्र पर तालाबंदी कर मूल्यांकन बहिष्कार करेंगे। वहीं, डीआइओएस डॉ. धर्मेद्र शर्मा ने कहा कि वित्तविहीन शिक्षक कार्य में बाधा न डालें, इसलिए अतिरिक्त पुलिस बल की व्यवस्था की गई है। जिले के पांच मूल्यांकन केंद्रों पर करीब 10 लाख कापियां चेक होनी हैं। पिछले एक साल से रुके मानदेय के भुगतान व समान कार्य समान वेतन की मांग के चलते यह बहिष्कार किया जा रहा है। वित्तविहीन शिक्षकों के विरोध के चलते समय से मूल्यांकन कराना अफसरों के लिए चुनौती से कम नहीं होगा। इसका कारण है कि, एक पैकेट में पांच से छह शिक्षकों की ड्यूटी के प्रपत्र होते हैं। जिले में पांच मूल्यांकन केंद्रों पर 3384 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें 311 डिप्टी हेड एग्जामनर (डीएचई) व 3073 परीक्षक हैं। कुल 3384 परीक्षकों में लगभग 2700 वित्तविहीन शिक्षकों की ड्यूटी है। अगर एक पैकेट में छह शिक्षकों की ड्यूटी ही मान ली जाए तो 1800 शिक्षक ही मूल्यांकन में शामिल होंगे। पैकेट न उठाने वाले ज्यादातर परीक्षक व डीएचई वित्तविहीन शिक्षक हैं। पैकेट न उठने से डीआइओएस दफ्तर के एक कमरे में लिफाफे बिखरे पड़े हैं। 17 मार्च से मूल्यांकन शुरू कर 15 दिन में कार्य खत्म करने के बोर्ड के निर्देश हैं। ऐसे में अगर आधे परीक्षक भी कम हो गए तो मूल्यांकन तय समय में खत्म होना संभव नहीं लगता।