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रोग लगने से धान की फसल पर संकट ने बढ़ाई किसानों की चिंता Hathras News

मौसम का असर फसलों पर भी पड़ रहा है। दिन प्रतिदिन बदल रहे इस मौसम से सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है। फसल में फूट रही बालियों से फसल की पैदावार घट सकती है। विशेषज्ञों की सलाह से कीटनाशकों का प्रयोग कर किसान फसलों को बचा सकते हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 02:09 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 02:09 PM (IST)
रोग लगने से धान की फसल पर संकट ने बढ़ाई किसानों की चिंता Hathras News
दिन प्रतिदिन बदल रहे इस मौसम से सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है।

हाथरस मौसम का असर फसलों पर भी पड़ रहा है। दिन प्रतिदिन बदल रहे इस मौसम से सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है। फसल में फूट रही बालियों से फसल की पैदावार घट सकती है। विशेषज्ञों की सलाह से कीटनाशकों का प्रयोग कर किसान फसलों को बचा सकते हैं।

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जिले में मौसम के बदलाव से गर्मी बहुत बढ़ गई है। कभी बारिश तो कभी गर्मी फसलों के लिए नुकसान पहुंचा रही है। इस समय खरीफ की फसलों का समय चल रहा है। मक्का, बाजरा, धान के अलावा सब्जियों की फसल भी उगाई जा रही है। इन फसलों में कभी पानी भर जाता है तो कभी बिल्कुल सूखने लगती हैं। इससे इनमे विभिन्न रोग लगने शुरू हो गए हैं। इससे फसलों की पत्तियां व तना पीला पड़ने लगा है। फसलों में हो रहे नुकसान को देखकर किसान चिंता में डूब गया है।

धान की फसल को सबसे अधिक नुकसान

जिले में खरीफ की फसलों सबसे अधिक 47 हजार हैक्टेअर बाजरा की फसल की गई है। अन्य फसलों में धान 230152 है., मक्का 3850 है., अरहर 4285 है. हो रही है। इन फसलों में सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है। इसकी बालियां फूटने लगी हैं। इन फसलों में इस मिथ्या कंडुआ फफूंद जनित रोग लग रहा है। इससे दाने पीले व काले रंग के आवरण से ढक जाते हैं।

कीटनाशकों के प्रयोग से बच सकती हैं फसलें

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं फसलों में को बचाने के लिए सीमित मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग उचित रहता है। इनका प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही करना चाहिए। स्यूडोमोना फ्लोरिसेंस पांच ग्राम प्रति लीटर पानी से छिड़काव या कापर हाइड्राक्साइड 77 प्रतिशत डब्लूपी 1.5 किग्रा.500 से 600 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करने से रोग दूर हो जाता है।

इनका कहना है-

फसलों को कीट से बचाना बहुत जरूरी हो गया है। फसल में पत्तियों के अतिरिक्त बालियां, डंठलों, पुष्प शाखा व गाठों पर काले भूरे धब्बे बनतें हैं। इससे बचाने को इडीफेनफास 50 प्रतिशत ईसी 500 से मिली प्रति हैक्टेयर की दर से 750 से 1000 लीटर में अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 1.5 से 2.0 किग्रा मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर 600 से 700 लीटर पानी में डालकर छिड़काव कर सकते हैं।

- राजेश कुमार, जिला कृषि रक्षा अधिकारी


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