अलीगढ़ का डॉ. राहुल कुलश्रेष्ठ खुद कोरोना संक्रमित होकर भी करते रहे दूसरों की चिंता
दुकानों पर शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। यह सही है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई है लेकिन अभी संकट टला नहीं है। इसलिए हमें सावधानी से रहने की जरूरत है। इसमें लापरवाही का मतलब खतरे को न्यौता देना ही है।
जेएनएन, अलीगढ़ । कोरोना महामारी से लड़ते हुए तमाम अधिकारी व कर्मचारी खुद संक्रमित हो चुके हैं। अच्छी बात ये है कि संक्रमित होने के बाद भी किसी ने हिम्मत नहीं हारी और कोरोना के खिलाफ लड़ते रहे। इनमें नगरीय कोविड सैंपङ्क्षलग के नोडल व जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. राहुल कुलश्रेष्ठ भी हैं, जो संक्रमित होने के बाद पहले अस्पताल, फिर होम क्वारंटाइन के दौरान भी कर्मचारियों के संपर्क में रहे और मार्गदर्शन किया।स्वास्थ्य विभाग में डॉ. राहुल कुलश्रेष्ठ की पहचान स्वच्छ छवि के अधिकारी की रही। वे कई अहम कार्यक्रमों के नोडल अधिकारी भी रहे हैं। कोरोना संकट में उन्हें नगरी क्षेत्र में सैंपङ्क्षलग के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया तो रैंडम सैंपलिंग के लिए बनाई गई टीमों के साथ खुद भी फील्ड में उतरे।
अभियान की संभाली बागडोर
संचारी रोग नियंत्रण अभियान की बागडोर भी संभाली। चार अक्टूबर को खुद भी संक्रमित हो गए। इलाज के लिए निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराए गए, मगर कोरोना के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। वहां से भी कर्मचारियों व अधिकारियों के संपर्क में रहे और कार्य बाधित नहीं होने दिया। 16 अक्टूबर को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। इन दिनों होम क्वारंटाइन में हैं। अब भी कार्य करना नहीं छोड़ा है। कहते हैं कि काम तो करना ही पड़ेगा। सीएमओ डॉ. भानुप्रताप सिंह कल्याणी ने बताया कि कोरोना संकट में हमारे अधिकारियों, डॉक्टर व कर्मचारियों ने सराहनीय कार्य किया है।
कम हो रहे मरीज, लेकिन अभी संकट टला नहीं है
कोरोना काल ने लोगों की पूरी दिनचर्या बदल दी है। सात महीने घरों में कैद रहने के बाद जीवन पटरी पर लौटने लगा है। लोग अब भी लापरवाही दिखा रहे हैं। बाजारों में भीड़ की तस्वीर आम हो गई है। दुकानों पर शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। यह सही है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई है, लेकिन अभी संकट टला नहीं है। इसलिए हमें सावधानी से रहने की जरूरत है। इसमें लापरवाही का मतलब खतरे को न्यौता देना ही है।